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काबिल अफसरों को दरकिनार कर, चाटुकारों को अहमियत !

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नरेश दीक्षित 
संपादक (समर विचार)

प्रदेश सरकार विकास कार्यो का अमली जामा पहनाने में गम्भीर नही है, सरकार की अनुभव हीनता के कारण दक्ष अधिकारियों को दर किनार कर केंद्र से ऐसे अधिकारियों को वापस बुलाया गया है जो सरकार की अपेक्षाओं पर अनुकूल नही बैठ रहे है।
सरकार ने तो ऐसे मुख्य सचिव को बना दिया है जो पंचायत तो अच्छी करते है लेकिन उनकी बात अधिकारी गंभीरता से नही लेते दिन में कई – कई समीक्षा बैठके होती है लेकिन धरातल पर कुछ भी नही होता। मुख्य सचिव पद वैसे ही भारी-भरकम माना जाता है फिर भी उन्हे अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग का भी पद दे रखा गया है।
ऐसे ही संजय अग्रवाल, डा0 प्रभात कुमार, कल्पना अवस्थी, रेणुका कुमार, आलोक सिन्हा, आलोक कुमार, अवनीश कुमार अवस्थी इत्यादि आई0ए0एस अधिकारी योगी सरकार के कृपा प्राप्त होने के कारण एक से अधिक विभागों का चार्ज दे रखा है ताजुब तो तब हुआ जब कुछ दिनों के अवकाश जाने पर गृह विभाग जैसे अति महत्वपूर्ण विभाग का चार्ज भी अवनीश कुमार अवस्थी को दिया गया जबकि उनसे संबधित एक जांच की कार्यवाही ग्रह गोपन 8 में लंबित है।
नियमानुसार एक आई0ए0एस अधिकारी को एक से अधिक विभागाध्यक्ष के पद पर नियुक्त नही किया जा सकता है फिर भी सरकार नियमों की अनदेखी कर अपने चहेते अधिकारियों को मलाईदार पदों पर सुशोभित कर रखा है। फलस्वरूप कई विभागो का बोझ होने के कारण हकीकत में विकास कार्य जनता को नजर नही आ रहे है सिर्फ गाल बजाई हो रही है।
राजन मित्तल, आर के तिवारी, नितिन रमेश गोकर्ण, प्रशांत त्रिवेदी, रितु महेश्वरी, मनोज सिंहा, आलोक कुमार प्रथम आदि आई ए एस अधिकारियों का कार्य संतोष जनक न होने के साथ ही समय समय पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहें है? लेकिन फिर भी यह अधिकारी सरकार के कृपा प्राप्त बने हुए है।
योगी सरकार अधिकारियों की कमी का रोना रोती रहती है लेकिन सरकार की इच्छा शक्ति जब तक विकास के लिए दॄढ संकल्पित नही होगी और अपनी पसंद के चापलूस अधिकारियों को कई-कई विभाग दिए जाते रहेंगे प्रदेश की विकास स्थिति में कोई सुधार नही होगा।
प्रदेश में ऐसे अधिकारियो की तादाद बड़ी संख्या में है जो वर्तमान में महत्वपूर्ण विभागों में बैठे अधिकारियों से कई गुना अधिक कार्य करने की क्षमता के वाबजूद उन्हे महत्व हीन विभागों में बैठा दिया गया है। योगी सरकार जब तक निष्पक्ष ढंग से अधिकारियों की नियुक्ति नही करेगी प्रदेश के विकास का निर्धारित लक्ष्य पाना मुश्किल प्रतीत होता है?

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