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भारत में रोजगार की अनिश्चित स्थित!

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नरेश दीक्षित (संपादक समर विचार)

अन्तराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी वैश्विक रोजगार सामाजिक दृष्टिकोण पर रिपोर्ट के अनुसार वष॔ 2019 तक भारत में 77% मजदूर अनिश्चित रोजगार में नियुक्त होंगे।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में करीब 50% मजदूरों या 90 करोड़ पुरुषो महिलाओं को अनिश्चित रोजगार प्रभावित करता है।
“पूर्वानुमान संकेत करता है कि 2019 तक दक्षिण – एशिया में 72 % दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत में 46 % और पूव॔ एशिया में 31% मजदूर अनिश्चित रोजगार में लगे होंगे। 2017 के बाद इस स्थित में बहुत मामूली बदलाव हुआ है”, आईएलओ ने कहा है।
भारत में अनिश्चित रोजगार का स्तर दुनिया या दक्षिण-एशिया के किसी भी देश की अपेक्षा ज्यादा है । रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वष॔ 2019 में 53,5 करोड़ श्रमिकों में से करीब 39,86 करोड़ श्रमिकों के पास निम्न गुणवत्ता वाली नौकरी होगी।
भारत में बड़ी चिंता की बात यह है कि जहां वष॔ 2017 से 2019 के बीच यहाँ बेरोजगारी की दर 3.4 से 3.5 % के आसपास बनीं हुई है वही 15 से 24 वर्ष के आयु समूह में बेरोजगारी की यह दर कहीं ज्यादा है, यह वर्ष 2010 में 10% से बढ़ कर 2019 में 10.7 % हो जायेगी ।
वर्ष 2017 में 15 से 24 वष॔ के आयु समूह में बेरोजगारी की यह दर 10.5 % थी।भारत में बेरोजगारी पर चल रही बहस के बीच यह रिपोर्ट आई है। कई लोग मानते हैं कि श्रम बाजार में प्रति वर्ष 1.2 करोड़ लोग शामिल होते है, मगर पर्याप्त नौकरियों का सृजन नहीं हो रहा है।
अन्तराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अंचल में अनिश्चित रोजगार की ऊंची और सतत् कायम स्थित मोटे तौर पर इस तथ्य को उजागर करती है कि इस अंचल के एक बड़े हिस्से में ढांचा गत रूपांतरण की प्रक्रिया धीमी है।
आईएलओ ने कहा है कि गरीब मेहनत कश मजदूरों को 198 रूपए से कम आय पर जीवनयापन करने वाले की बड़ी तादाद के पीछे मुख्य कारण नौकरी की निम्न गुणवत्ता और विशाल अनौपचारिक क्षेत्र है।
लेकिन यह भी सही है कि श्रम कानूनों में  लेकिन यह भी सही है कि श्रम कानूनों में बदलाव के खिलाफ जिस स्तर पर संघर्ष करने की जरूरत थी वैसा नहीं हुआ है?

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