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प्रथम विश्व युद्ध के भारतीय योद्धाओं को सादर नमन, जो कभी लौट कर घर न आए!

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नरेश दीक्षित संपादक समर विचार

प्रथम विश्व युद्ध के सौ वर्ष पूरे हो गए हैं ।लेकिन युद्ध के दौरान भारत के कम से कम 74 हजार सैनिक अपने वतन में कभी लौट कर नहीं आए। भारतीय परिप्रेक्ष्य में प्रथम विश्व युद्ध की कहानी अभी तक देश की किसी भी सरकार ने सुनाई ही नहीं है।
वर्ष 1914 से 1919 तक भारत से 11 लाख सैनिक विदेशी धरती पर लड़ने गए थे उनमें से 74000 हजार सैनिक कभी वतन वापस ही नही आए। उनको फ्रांस, ग्रीस, उत्तरी अफ्रीका फिलस्तीन, सैलोनिका, मेसोपोटामिया आदि में दफना दिया गया।
इस तरह से भारत के लोग ब्रिटिश सेना के एक बड़े हिस्से के रूप में अपने सगे संबंधियों और पूर्वजों के योगदान को अन देखा करने के लिए दोषी है? उस समय भारत की आवादी मात्र 32.5 करोड़ थी इसमें से प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लेने वाले 17 लाख लोगों भुला देना बेहतर समझा गया।
जिसमें से 11 लाख लोग सैनिक थे, और 6 लाख श्रमिक, खानसामा, नाई, धोवी, मजदूर थे इनमें से 62000 लोग वापस नहीं आ सके जबकि अन्य 67000 हजार लोग घायल थे इन घायलों का भी कोई न कोई अंग हमेशा के लिए जा चुका था। कुल मिलाकर प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लग भग 74000 हजार भारतीय योद्धाओं की मृत्यु हो गई थी।
प्रथम विश्व युद्ध के समय आज की तरह प्रेस की स्वतंत्रता नाम की कोई चीज विकसित नहीं हुई थी। वर्ष 1914 से 1919 के बीच प्रथम विश्व युद्ध में सैनिकों, गैर सैनिकों और श्रमिकों के रूप में अपनी सेवाएँ देने वाले भारतीय लोगों की बड़ी संख्या को देखते हुए यह हैरान करने वाला है कि हम उनके युद्ध अनुभवों के बारे में कितना कम जानते हैं।
यूरोप और मध्य पूर्व के देशों के सैनिकों के विपरीत भारतीय सैनिकों और अधिकारियों की बहुत कम संस्करण प्रकाशित हुए हैं।अंग्रेजी सरकार तो प्रथम विश्व युद्ध की लड़ाई में भारतीय सैनिकों को तोप के चारे के रूप में इस्तेमाल करते थे। लेकिन भारतीय सैनिकों ने कई देशों में अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया था।
भारतीय सैनिकों की भारी संख्या जीतने मोरचो पर लड़े और जितनी भी कठिनाइयां उनहोंने झेली इन सब को देखते हुए उनके योगदान की इतिहास कारों ने उपेक्षा करके उस प्रथम महायुद्ध का कोई भी विवरण पूरा नहीं हो सकता।
भारत में अब भी प्रथम विश्व युद्ध का 100 साल के बाद भी आधिकारिक इतिहास का अभाव है। 100 साल पूर्व विदेशी धरती पर बलिदान देने वाले उन तमाम भारतीय सैनिकों को सादर नमन!

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