Tevar Times
Online Hindi News Portal

भाजपा को परास्त करने के लिए कांग्रेस तैयार!

0
नरेश दीक्षित (संपादक समर विचार)

हाल ही में पांच विधान सभाओ चुनाव के परिणामों से जहाँ भाजपा 0.5 से पराजित हुई है वही कांग्रेस 3.2 से जीत कर हिन्दी भाषी क्षेत्र राजस्थान, मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ में तिरंगा लहरा कर बीजेपी को सन्न कर दिया है। मोदी और अमित शाह ने अभी तक उदारता से हार स्वीकार नहीं की है।
इन तीन हिन्दी भाषी क्षेत्रों में भाजपा 177 सीटें हार गई है, जबकि कांग्रेस 158 सीटें जीत गई है जो भाजपा के लिए बुरी खबर है। कांग्रेस इस जीत से अश्वत है कि देश की जनता भाजपा की नीतियों से असंतुष्ट हैं और अब मोदी अपराजय नहीं है। उनको 2019 में हराया जा सकता है?
राम मंदिर के सपने दिखाकर भाजपा चुनाव नहीं जीत सकती। कांग्रेस को जिसे लोगों ने खारिज कर दिया था उसकी वापसी हो रही है।  कुल मिलाकर नोटबंदी, जी एस टी, एफडीआई, विजय माल्या, नीरव मोदी, राफेल, किसानों व मजदूरों की बेहाली इत्यादि मुद्दों पर भाजपा बेनकाब हो गई है।
कांग्रेस का असली मुकाबला अब 2019 में सीधे उस जोड़ी से होगा जिसने देश की सारी संवैधानिक संस्थाओं, पुलिस, अदालत, संसद, विधान सभा के रहते हुए, सफेद कुर्ते पर बिना किसी काली लकीर के साफ निकल सके, इस सर्टीफिकेट ने मोदी-शाह को इतनी शक्ति दी है कि वे हिन्दुस्तान के पैमाने पर 2014 के बाद 2019 जीतने के लिए नए समीकरणों का ताना बाना बुन रहे हैं।
राहुल गांधी के सामने अभी बहुत अवरोध है लेकिन उन्होंने कांग्रेस की पिछली पराजय से काफी कुछ सबक सीखा है। जीत के बाद जो विनम्रता देखने को सामने आई वह काफी प्रशंसनीय है। भाजपा के तीनों मुख्यमंत्रियों से मिलना और उनके कार्य की प्रशंसा करना और उनके कार्यो को आगे ले कर चलने का संकल्प प्रगट करते हुए कहा कि हम भाजपा को हराना चाहते हैं पर भारत मुक्त भाजपा उनका ध्येय नहीं है।
बहुत दिनों बाद राजनीति में किसी नेता ने ऐसी विनम्रता दिखाई है। छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश की विधान सभा चुनाव की तरह वोटिंग पैर्टन आगे रहा तो उम्मीद की जा रही है कांग्रेस इन प्रदेशों की भांति देश के अन्य राज्यों में भी बड़ी जीत दर्ज कर सकती हैं। 2019 में बीजेपी विरोध गठबंधन की धुरी क्या होगी? वैसे
दक्षिण भारत ने उत्तर भारत को यह सन्देश दे दिया है कि आगामी लोकसभा चुनाव का सम्बंध राज्यो से नहीं बल्कि देश से है और उसके तहत ही हमें अपना नजरिया रखना होगा।
तमिलनाडु में डी एम के से बड़ा कोई अन्य क्षेत्रीय दल इस मायने में नहीं है। हाल ही में डी एम के, के एम के स्टालिन और एन सी पी शरद पवार राहुल के समर्थन में आ गए हैं। भाजपा अभी तक इस मुगालते में जीती रही कि हिन्दु-मुस्लिम के नाम पर पुरी कौम को अलग-अलग करने से सियासी काम चल जायेगा लेकिन अब ऐसा नहीं है क्योंकि अभी पांचों राज्यों में ऐसे करने से ही भाजपा का सफाया हो गया है।
इस लिए विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय दलों को अपनी हैसियत का अनुमान अखिल भारतीय फलक पर ही लगाना होगा और जिस भाजपा के खिलाफ वे एकजुट होना चाहते हैं, भाजपा को परास्त करना चाहते हैं तो उनके लिए केवल दुसरे राष्ट्रीय दल के साथ ही क्षेत्रीय दलों को गठबंधन बनाना ही पड़ेगा । इस मायने में कांग्रेस भाजपा को परास्त करने के लिए मैदान में खड़ी हो गई है अब देखना है राज्यों के क्षेत्रीय राजनैतिक दल कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाकर भाजपा को परास्त करना चाहते हैं या उसे वाक ओवर देना चाहते हैं?

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More