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भारत सबसे प्रदूषित देश!

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नरेश दीक्षित

भारत में बढ़ते प्रदूषण के कारण आज दुनिया का सबसे प्रदूषित देश बन गया है लेकिन हमारी सरकार बालाकोट में मारे गए आतंकियों की गिनती में उलझी हुई है। पर्यावरण को बचाने की मुहिम चलाने वाले ग्रीनपीस एनजीओ द्वारा एक रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली संसार की सबसे प्रदूषित राजधानी है और गुरुग्राम संसार का सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की श्रेणी में पहले स्थान पर हैं।
एनजीओ ने यह रिपोर्ट 2018 के पर्यावरण आंकलन के आधार पर जारी की है एन जी ओ की सूची में सबसे ऊपर देश की राजधानी दिल्ली है, दुसरे नम्बर पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका और तीसरे पर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल है। विश्व के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 18 भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश हैं। दुनिया के इन 20 शहरों में से 15 भारत के है। यह हमारे लिए कितनी  शर्म की बात है?
रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर सूक्ष्म प्रदूषक कण वाहनों की अत्यधिक बढ़ती संख्या, बिजली संयंत्रों, उद्योगों, घरों, कृषि कार्य में ईंधन या जैव ईंधन जलाए जाने से निकल रहे हैं।
विकास के नाम पर सरकार ने औद्योगिक इकाइयों को धुआँ फैलाने की खुली छुट दे रखी है। आज भी अधिकांश इकाइयों में वायु प्रदूषण रोधी संयंत्र नहीं लगें हैं। महानगरों में सी एन जी पंपों पर लंबी लंबी लाइनें लगी रहती है क्योंकि सरकार इन महानगरों में आपेक्षित पंपों की मांगपुरा नहीं कर पा रही हैं।
प्रदूषण कम करने के लिए सबसे पहले हमें उसकी गंभीरता को समझना पड़ेगा यदि हम ऐसा नहीं कर पाए तो आने वाले समय में प्रदूषण के मामले में भारत की स्थित और गंभीर हो जायेगी। इसका सबसे बड़ा असर हमारे मासूम बच्चों पर पड़ेगा। भारत में सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन ट्रिब्यूनल गठित तो कर दिया है लेकिन स्वंतत्र रूप से कार्य नहीं कर पा रहा हैं और मात्र सफेद हाथी बन कर खड़ा है।
देश के कारपोरेट घराने सबसे अधिक प्रदूषण देश में फैला रहे हैं लेकिन कोई कार्य वाई उन पर नहीं होती क्योकि उन्हे सरकार का संरक्षण प्राप्त रहता है। एक उदाहरण से समझा जा सकता है कि कारपोरेट को कैसे संरक्षण मिलता है वेदातां जैसी एक अन्तर्राष्ट्रीय कंपनी द्वारा तमिलनाडु के तूतीकोरिन में एक ताँबा ढलाई में इतना अधिक प्रदूषण फैलने लगा कि वहाँ के निवासियों को रहना मुश्किल हो गया राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार से काफी गुजारिशों के बाद जब उनकी नहीं सुनी गई तो वहाँ के आम नागरिक संगठित होकर वेदांता कंपनी के खिलाफ एक जन आन्दोलन शुरू कर दिया।
23 मई 2018 को जब स्थानीय निवासी कंपनी को बंद करने के लिए धरना दे रहे थे तो सरकार ने गोली चलवा दी जिसमें 11 आम नागरिकों की मृत्यु हो गई तथा  दर्जनो    प्रदर्शन कारी घायल हो गए अतः वहाँ के आम नागरिकों के विरोध के वाद वेदांता को कंपनी बंद करना पड़ी। देश में बढ़ रहे प्रदूषण के लिए अब आम नागरिकों को जागरूक होना पड़ेगा वर्ना सरकारें कारपोरेट घरानों को शय देती रहेंगी और आम नागरिक मरते रहेंगे।

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