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अब नौकर शाही पर लगाम लगाकर, शुरू होगी हुक्म शाही?

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नरेश दीक्षित

मोदी सरकार ने इसकी शुरुआत तो 11 जुलाई 2018 को शुरु कर दी थी जब कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग भारत सरकार के एक सरकुलर के आधार पर विज्ञापन जारी कर आवेदित 89 नामों से छांटा गया था। कार्मिक विभाग ने इस सरकुलर के माध्यम से ऐसे प्रतिभाशाली और प्रेरणादायक व्यक्तियों से आवेदन मांगा था जो राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकते हो।
इनकी नियुक्ति राजस्व, वित्तीय सेवाओं, आर्थिक मामलों, कृषि, सहकारी एवं किसान कल्याण, सड़क परिवहन एवं हाईवे, जहाजरानी, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन, नवीन एवं अक्षय ऊर्जा, नागरिक उड्डयन और वाणिज्य विभाग में की जानीं थी।
इन सभी नियुक्त व्यक्तियों को टाप आई ए एस नौकरशाहों के समतुल्य वेतन भत्ता एवं सुविधाएं प्रदान की जायेंगी और समय-समय पर सरकार द्वारा अधिसूचित नियमों एवं अन्य विधानों का पालन करने के लिए यह सरकारी अधिकारी होंगे (पब्लिक सरवेंट )।
मोदी सरकार ने ऐसे ही 9 प्राइवेट विशेषज्ञों को नियुक्त किया है। संयुक्त सचिवों के पद पर ये नियुक्तियां भारत में आई ए एस प्रणाली को हटाकर  ‘पार्शव भर्ती’ के जरिए की गई है जो एक लुभाना शब्द है। इस तरह की भर्ती अपने आपमें अभूतपूर्व है।
ज्ञातव्य हो कि भारत में संयुक्त सचिव के पद को टाॅप नौकरशाही में गिना जाता है। इस सूची में के पी एम जी कम्पनी से भर्ती किये गये कुछ विशेषज्ञ भी शामिल है जो एक आडिट फर्म है। यह कुख्यात एवं भ्रष्ट कारपोरेट सौदेबाजी के कारण इस फर्म को कई देशों ने काली सूची में डाल रखा है और कई अन्य देशों में वह प्रतिबंध का सामना कर रही है।
बहरहाल यह पहली बार हो रहा है कि भारत के निजी कारपोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कार्यरत विशेषज्ञों की नौकरशाही में सीधी भर्ती की जा रही है। इसका मकसद अब सम्पूर्ण प्रशासन तंत्र को ऐसे लोगों से भरना है जो पूंजीपतियों के दरबारी है। मोदी सरकार का यह कदम देश के प्रशासन तंत्र पर संसदीय नियंत्रण को खत्म करने वाला कदम है।
इसका तार्किक परिणाम यह होगा कि नीति निर्धारण के मामले में जो अब तक आई ए एस परीक्षा के माध्यम से भर्ती होने वाले नौकरशाहों की अपेक्षा कारपोरेट घरानों द्वारा नामित इन नये नौकरशाहों को प्रमुखता दी जायेगी।
किन्तु यह कदम अफसरशाही को खत्म कर जनता को अधिकार संपन्न नहीं करता बल्कि राजसत्ता पर कारपोरेट पूंजी की पकड़ को मजबूत करने का रास्ता है।
चूँकि कारपोरेट-वित्तीय थैली शाह वर्ग की ताकत काफी बढ़ गई है इसलिए अब वह सम्पूर्ण राज्य तंत्र को सीधे अपने नियंत्रण में लाने का प्रयास कर रहे हैं। क्योकि मोदी ने अपने कारपोरेट आकाओं के कहने पर योजना आयोग को भंग कर दिया था। और इसकी जगह नीति आयोग का गठन किया है।
देश के कारपोरेट घरानों के सबसे पसंदीदा मोदी द्वारा देश से आईएएस नौकरशाहों को समाप्त कर पिछले दरवाजे से निजी क्षेत्रों के अधिकारियों की भर्ती कर बैठालने का प्रयास मोदी की नई सरकार में अब और तेजी से शुरू हो जायेगा।

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