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मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव पर आरोप सत्य से परे

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प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री पर पैसा मांगने का आरोप प्रथम दृष्टया संदिग्ध लगता है। वैसे देखा जाए तो राजनेताओ की भांति वरिष्ठ आईएएस अधिकारियो में भी कुर्सी संघर्ष चलता रहता है और यह तब अधिक होता है जब शासन का मुखिया अनुभव हीन हो।
2017 में योगी की मुख्य मंत्री पद की अचानक ताज पोशी के कारण प्रदेश के तमाम नौकर शाह जो भारत सरकार में कार्यरत थे तथा पूर्व व॔ती सरकारों में सामंजस्य ठीक से न बैठने के कारण दिल्ली में थे यह सब रातों रात बीजेपी, आरएसएस के अत्यंत करीबी हो गए और देखते ही देखते उत्तर प्रदेश की योगी की सरकार में छा गए लेकिन इस आपा धापी में कई अधिकारियों को अच्छे विभाग मिले है लेकिन कुछ अब भी छट पटाहट में रहते है कि और अच्छी पोस्टिंग कैसे मिले?
इसी क्रम में मुख्यमंत्री मंत्री का मुख्य सचिव बनने के लिए दिल्ली से वापस आए अधिकारियों में जबरदस्त प्रति स्पर्धा के चलते अन्ततः श्री सत्य प्रकाश गोयल वरिष्ठ आई ए एस को जो एक कर्तव्य निष्ठा ईमानदार की श्रेणी में गिने जाते है। मुख्य मंत्री ने अपना प्रमुख सचिव बना लिया।
लेकिन इस में जो अधिकारी पिछड़ गए थे वह आज भी किसी न किसी प्रकार से तिकड़म का जाल बिछा कर गोयल को हटा कर स्वयं बैठना चाहते है। वैसे इस पद पर असफल अधिकारियों को भी योगी जी ने एक से अनेक विभाग दिए है लेकिन वह सभी में फैल है।
इसी कारण प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री का पद इस लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है कि इस पर बैठने वाले अधिकारी सीधे तौर पर जनता एवं विकास के प्रति उत्तरदायित्व नही होता इनका काम शासन से आने वाली पत्रावली को मुख्यमंत्री को अवगत कराकर उस पत्रावली पर निर्देश/आदेश पारित कराकर उसे लागू कराने की होती है।
मुख्य मंत्री के मुख्य सचिव पर एक ताजा प्रकरण के अन्तर्गत बताया जा रहा है कि हरदोई जनपद के एक पेट्रोल पंप को जमीन उपलब्ध कराने के लिए 25 लाख रुपए की मांग की गई थी जिसकी शिकायत राज्यपाल जी से की गई। वैसे यह प्रकरण पुरा संदिग्ध नजर आ रहा है क्योंकि राज्यपाल के पास ऐसी हजारो शिकायतें रोज पहुंचती है क्या उन सभी पर राज्यपाल संज्ञान लेकर मुख्य मंत्री को पत्र लिखते है?
और फिर क्या प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री का काय॔ पेट्रोल पंप के लिए जमीन उपलब्ध कराने का तो है नही, यह काय॔ तो संबधित क्षेत्र के डी एम, एस डी एम, तहसीलदार स्तर के अधिकारी का होता है। श्री एस पी गोयल पर इतना बड़ा आरोप लगाया जा रहा है यह जांच का गंभीर विषय है।
जहां तक पेट्रोलियम मंत्रालय का नियम है कि पेट्रोल पंप की स्थापना के लिए भूमि का जो मानक बनाया गया है उस मानक के अनुसार भूमि आवेदन कर्ता को ही उपलब्ध कराने के पश्चात कोई भी पेट्रोलियम कंपनी लाट्ररी अथवा साक्षात्कार से डीलर का चयन किया जाता है। योगी जी को चाहिए इस अति गंभीर प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराना चाहिए तथा प्रकरण में लिप्त चाहे कोई भी हो इसका खुलासा कर दंडित करना चाहिए।

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