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विपक्ष के तल्ख तेवर के बावजूद शराब संबंधी कानून संशोधन विधेयक पारित

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स्पर्श दीक्षित
लेखक लखनऊ विश्वविध्यालय से ऐलकट्रानिक मीडिया एवम फिल्म प्रोडक्शन में परस्नातक है व टी टाइम्स ग्रूप के विशेष संवाददाता है. . . 

पिछले कई दिनों से बिहार में शराब संबंधी कानून में संशोधन की अटकलें तेज थी, और विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सोमवार को बिहार मद्य निषेध और उत्पाद (संशोधन) विधेयक-2018 सदन में पेश किया गया, जिसे बहुमत से पारित भी कर दिया गया.

हालांकि विपक्ष द्वारा इसका तीखा विरोध किया गया व विपक्ष ने इसके चलते सदन का बहिर्गमन किया। कानून में संशोधन को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन को बताया कि निर्दोषों को बचाने के उद्देश्य से संशोधन विधेयक लाया गया है.
उन्होंने कहा कि इस कानून के दुरुपयोग को रोकने पर सरकार का जोर है. निर्दोष लोगों को बचाने के लिए इसमें संशोधन किया गया है. उन्होंने कहा, “संशोधन का मतलब यह नहीं कि शराब का सेवन करने वाले बख्शे जाएंगे, शराब पीकर उपद्रव करने पर कड़ी कार्रवाई होगी.”
मुख्यमंत्री ने सरकार का पक्ष लेते हुए कहा कि कानून को तार्किक बनाते हुए और लोगों की परेशानी को देखते हुए संशोधन का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि यह कानून आम लोगों की राय के बाद ही पारित हुआ है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनहित को देखते हुए शराबबंदी का फैसला लिया गया, जिसे सभी दलों का समर्थन प्राप्त हुआ है. शराबबंदी का सबसे ज्यादा लाभ दलितों, गरीबों, अनुसूचित जाति-जनजाति और हाशिए पर चले गए लोगों को हुआ है.
विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि सरकार ने संशोधन के नाम पर अमीरों को ‘डिस्काउंट’ दे दिया है. उन्होंने कहा कि अमीर लोग 50 हजार रुपये जुर्माना देने के बजाय अब पांच हजार रुपये में शराब हासिल करेंगे.
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर बिहार में शराब आती कैसे है? तेजस्वी ने कहा, “शराबबंदी के बाद राज्य के लोग शराब के साथ पकड़े गए हैं. यह बिहार सरकार की जिम्मेदारी है कि राज्य की सीमाओं पर भी सुरक्षा बढ़ाई जाए, साथ ही उन फैक्ट्रियों पर भी लगाम लगे जहां से शराब राज्य में आ रही है.”
बिहार में दो वर्ष से शराबबंदी लागू है. विपक्ष के नेताओं का आरोप था कि शराबबंदी के नाम पर दलितों और पिछड़ों को गिरफ्तार कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. इसके बाद सरकार ने इस कानून में संशोधन के संकेत दिए थे. संशोधन के तहत इस कानून में कई कड़े प्रावधानों को कमजोर किया गया है.

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