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आगरा एक्सप्रेस-वे के निर्माण एवं सर्विस लेन में बरती गई धांधली की उच्च स्तरीय जांच करा कर निमार्ण एजेन्सी को ब्लैक लिस्ट किया जाए !

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नरेश दीक्षित (संपादक-समर विचार)

प्रदेश की जनता का गाढ़ी कमाई  11526, 73 करोड़ रुपए खर्च कर आगरा -लखनऊ एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य रिकॉर्ड समय, तेईस माह में विश्व स्तरीय बनाकर एक रिकॉर्ड कायम किया गया था जिस पर फाइटर प्लेन भी उतारे गए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा  21 नवम्बर 2016 को इसका उदघाटन किया गया था।
प्रदेश सरकार का नेतृत्व बदलते ही यूपीडा द्वारा इस की अनदेखी के कारण इसके रख रखाव में भारी अनियमितता बरती जाने लगी, सर्विस लेन के निर्माण कार्य एक ऐसी एजेंसी को दिया गया जो सत्ता दल के बहुत नजदीक थी उसने इसका भरपूर फायदा उठाते हुए निम्न एवं घटिया स्तर का सर्विस लेन निर्माण किया जो एक ही वारिस में जगह जगह धंस गया और किनारों की मिट्टी बह गई, इसी के चलते आगरा के समीप डौकी क्षेत्र में वाजिद पुर गांव के पास सड़क धंसने से कार सवार गहरी खाई में जा गिरे।
उन्नाव थाना क्षेत्र औरास के पास कई मीटर सड़क में दरार पड़ गई। आगरा से लेकर लखनऊ तक एक्सप्रेस वे के कई स्थानो पर दरारें पड़ गई है जिन्हे छिपाने के लिए यूपीडा के इंजीनियर लीपापोती कर रहे है। सड़क एवं सर्विस लेन पर जगह-जगह कटान हो गया है मिट्टी बह गई है। सई नदी के पास बने अंडर पास में भी दरारें पड़ गई है आगरा से लखनऊ की ओर जाने वाले किलोमीटर संख्या 131 -132 के बीच पुल के पास 50 मीटर की दरार आ गई है तथा पुल के किनारे की मिट्टी भी बह गई है।
एक्सप्रेस-वे की निमार्ण एजेन्सियों द्वारा जल निकासी की व्यवस्था न करने के कारण जल भराव से मिट्टी कटान के साथ ही दरारें भी पड़ गई है। एक्सप्रेस-वे के रख-रखाव की सम्पूर्ण जिम्मेदारी यूपीडा की है लेकिन डेढ साल में वह न तो दोनो ओर जाली, शौचालय, लाइट, वृक्षारोपण कर पाई न ही सुरक्षा के उपाय। एक्सप्रेस-वे पर हो रही मिट्टी कटान, सड़क पर दरारे, सर्विस लेन के धंसने की सूचना पर यूपीडा के सीईओ अवनीश कुमार अवस्थी द्वारा एक स्वतंत्र जांच एजेंसी (राइट्स ) को जांच का काम सौंप कर 15 दिन में रिपोर्ट तलब की है।
जानकारो के अनुसार आगरा एक्सप्रेस वे जगह-जगह मिट्टी कटान सड़क पर दरारें पड़ेने के लिए निमार्ण एजेन्सी द्वारा अनुचित लाभ कमाने के उद्देश्य से अन्तरराष्ट्रीय मानको को ताक पर रख कर घटिया सामग्री प्रयोग कर निमार्ण कराया गया जो वर्तमान में एक साक्ष्य है। सबसे चौकाने वाली बात तो यह है कि पी एन सी इंफ्राटेक लिमिटेड जैसी भ्रट और काली सूची में डालने योग्य कम्पनी को वर्तमान सरकार ने भी उसके रसूख और
एक्सप्रेस-वे से जुड़े यूपीडा के उच्चाधिकारियों से निकट सम्बन्धो के चलते सारे नियमो एवं मानकों की धज्जियाँ उडाते हुए ई – टेंडर जैसी पारदर्शी व्यवस्था का उल्लंघन कर बिना टेंडर किए वर्तमान सरकार द्वारा आगरा एक्सप्रेस-वे पर स्थापित टोल सेन्टर कलेक्शन का ठेका/आदेश इसी भ्रष्ट कंपनी को दे दिया गया जो अपने अनुसार आने जाने वाले वाहन के माध्यम से जनता का धन दोहन कर रही है।
ठेका का समय समाप्त होने के पूर्व पुनः नवीनीकरण के लिए प्रयास शील है। इतना ही नही इस कंपनी की बनाई आगरा एक्सप्रेस-वे की कुछ साल भी टिक नही सकी ऐसी फर्म ने पुनः राजनैतिक जुगाड एवं हथकंडे अपना कर पूर्वांचल एक्सप्रेस वे में कई किलोमीटर रोड़ बनाऐ जाने का ठेका प्राप्त कर लिया है। जिसकी उच्च एजेंसी से जांच कराया जाना और ऐसी कंपनियो को ब्लैक लिस्ट किया जाना आवश्यक है।
आम लोगो में चर्चा यह है यह है कि  इस कंपनी द्वारा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे बनाई जाने वाली रोड़ उदघाटन से पूर्व क्षतिग्रस्त होती है? अथवा उदघाटन के कितने समय पश्चात । इसी पर कयासों और अटकलों का दौर जारी है। देखना यह है कि वर्तमान योगी जी की ईमानदार और पारदर्शी सरकार घटिया किस्म की निमार्ण एजेन्सियों और यूपीडा के इंजीनियरों, अधिकारियों के विरुद्ध कब और क्या कार्यवाही करती है?

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