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कश्मीर में राजनैतिक ड्रामे के बाद अब 35 ए हटाने पर विवाद शुरू!

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नरेश दीक्षित (संपादक समर विचार)

कश्मीर में औरंगजेब और पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या के बाद भाजपा ने पी डी पी से अपने सम्बन्ध हत्याओ का बहना बताकर सत्ता से अलग हो गए।
तीन साल के साझा समय में कश्मीर में न जाने कितने निर्दोषों का खून बहा था तब बी जे पी को सत्ता से हटने की नैतिकता याद नही आ रही थी बीजेपी, पीडीपी का यह बैमेल गठ बंधन सिर्फ व सिर्फ सत्ता के लिए था जबकि अब बीजेपी इसे राष्ट्र हित में उठाया गया कदम बता रही है।
भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कहा है कि कश्मीर में अराजकता फैलाने के बाद भगवा दल जम्मू-कश्मीर में सत्ता से बाहर हो गया है और उसने जो लालच दिखाया है उसके लिए इतिहास कभी माफ नही करेगा।
अपने मुख्य पत्र सामना में शिवसेना ने लिखा था कि इतने बड़े स्तर पर खून की नदियाँ कभी नही बही थी और पहले कभी इतनी बड़ी संख्या में सैनिक शहीद नही हुए थे।
हालांकि अब सारा दोष पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती पर मढ़ा जा रहा हैं। भाजपा अब बहाना बना रही है कि राज्य सरकार अपना काम ठीक से नही कर पा रही थी।
इतने वर्षो तक दो विपरीत विचार धाराओ वाली पार्टियों के नापाक गठबंधन को बचाए रखने के लिए राष्ट्र हित के मुद्दो से समझौता किया। यह भाजपा का सबसे बड़ा घिनौना अवसरवादी चेहरा था।
गत लोक सभा चुनाव में भाजपा ने कश्मीर के बारे में देश भर से जो वादे किए थे, उन्हे पुरा कर पाना संभव नही है इसी गलत राजनीति की वजह से हालात और बिगडे है, दरअसल भाजपा का राजनीति ध्रुवीकरण करने से यह समस्या बढ गई है, धारा 370 का मसला उठाने का कोई कारण नही है फिलहाल इसे लागू कर पाना मुश्किल है, लेकिन राजनैतिक लाभ के लिए इसे बराबर उठाया जाता है। वर्तमान कश्मीर समस्या पर दोनो दलो में नूरा कुश्ती चल रही है।
अन्दर खाने से यह बात भी आ रही है कि पी डी पी विधायको को तोड़कर बीजेपी सरकार बनाने का प्रयास कर रही है? लेकिन सार्वजनिक तौर पर इसका खंडन भी बी जे पी नेतृत्व द्वारा किया जा रहा है।
अभी पिछले दिन पीडीपी प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है यदि भा ज पा हमारी पार्टी तोड़ने की कोशिश करेगी तो कश्मीर के हालात 1987 से बत्तर हो जायेगें और घाटी में शांति बहाली मुश्किल होगी तथा लोक तंत्र में कश्मीरियों के विश्वास को समाप्त कर देगा।
पार्टी टूट की आशंका से बौखलाईं महबूबा ने कश्मीर में और सलाहुद्दीन पैदा होने की धमकी भी दे रही है इस बयान की देश भर में आलोचना भी हो रही है।
कश्मीर में आज के हालात के लिए दोनो ही दल भाजपा, पीडीपी बराबर के जिम्मेदार है कश्मीर को राष्ट्र पति शासन के हवाले करना भी परोक्ष रूप से भाजपा शासन ही कहा जा सकता है अब भी यदि वहाँ शांति कायम करने में राष्ट्र पति शासन या कहे केन्द्रीय शासन फेल हुआ तो इसकी पूर्ण जिम्मेदारी मोदी सरकार की होगी लेकिन अब तो कश्मीर में एक नया विवाद 35 ए को हटाने के लिए शुरू हो गया है।
वहाँ की अधिकांश पार्टियां एवं जनता विरोध कर रही है ऐसे में बीजेपी अब क्या रणनीति कश्मीर में अपनायेगी यह देखने की बात होगी?

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