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मोदी सरकार का बजट जनता से वोट खरीदनें के लिए था ?

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नरेश दीक्षित

1 फरवरी 2019 को पेश बजट मोदी सरकार का अंतिम बजट संसदीय परम्पराओं और नैतिकता की अनदेखी का था। 1961 से एक स्थापित परम्परा रही हैं कि बजट पेश करने के पूर्व संसद में आर्थिक सर्वे रखा जाता है और उसका विश्लेषण करने के लिए आर्थिक सर्वे तैयार किया जाता है। संसद और जनता के लिए यह आर्थिक सर्वे अनिवार्य होता है जिससे देश की अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति जान सकते हैं ।
किन्तु बजट के इतिहास में पहली बार मोदी सरकार ने बजट से पहले आर्थिक सर्वे पेश करने के इस रिवाज का उल्लंघन किया है क्यों? इसका कारण साफ था अगर बजट के पूर्व यह आर्थिक सर्वे पेश किया जाता तो मोदी राज में पिछले पाँच सालों के दौरान मची भयावह आर्थिक तबाही की तस्बीर उजागर हो जाती।
स्वाभाविक है कि मोदी के खोखले दावों की पोल खुल जाने के डर से मोदी सरकार ने आर्थिक सर्वे पेश करने की प्रथा को ही छोड़ दिया है।
पांच साल के लिए चुनी हुई सरकार को केवल पांच पूर्ण बजट पेश करने का ही जनादेश होता है, मगर मोदी सरकार ने अंतरिम बजट के नाम पर एक तरह से छठवां पूण॔ बजट पेश किया जिसमें कई नीति गत घोषणाएं की गई। यहाँ तक कि अगले दस वर्षो के लिए दृष्टिगत बयान भी दे डाला। इस प्रक्रिया में वित्त मंत्री पीयुष गोयल ने करीब पौने दो घंटे तक जुमलेबाजी करते हुए बजट भाषण को चुनावी भाषण में बदल दिया।
आंकड़ों का हेरफेर और बोगस दावों पर आधारित उनके भाषण में मुफ्त उपहार ये दिया वो दिया की पुकार टैक्स रियायत मनी ट्रांसफर स्कीम और तरह तरह की लुभावनी योजनाएं थीं। भले ही मोदी सरकार देश के अन्दर भ्रष्टाचार और काले धन के आंकड़े दबाती रही हो मगर अन्तराष्ट्रीय संस्थाओं ने अध्ययन कर बताया है कि मोदी राज्य में भारत किस तरह कारपोरेट पूंजीवाद का फलता फूलता उदाहरण बन गया है और किस तरह एशिया का सबसे भ्रष्ट देश बन गया है।
इन अध्ययनों के अनुसार मोदी सरकार ने गैर निष्पादित सम्पदा (बट्टे खाते में डाली गई बैंको से लिये गये कर्ज़ की वह रकम जिसे चुकाया नहीं गया है) के नाम पर भारत के बड़े कारपोरेट घरानों को साव॔जनिक क्षेत्र के बैंको को लूटने का मौका दिया है। आज भारत में बैंको की गैर निष्पादित सम्पदा करीब 15 लाख करोड़ हो गई है। इससे 90 प्रतिशत से ज्यादा के लिए अंबानी, अडानी, एस्सार की अगुवाई में सबसे बड़े दस कारपोरेट लूटेरे जुम्मेदार है।
नोट बंदी अपने आप में एक धूर्तता भरी चाल थी जिसके माध्यम से काला धन रखने वाले कारपोरेट जमाखोरों ने अपने काले धन को सफेद कर लिया। आरबीआई की ताजा रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी किये गये नोट का केवल 14,11लाख करोड़ रुपये की छपाई हुई थी किन्तु वास्तव में 15,28 लाख करोड़ रूपये वापस मिला है मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा देकर दावा किया था कि करीब 3-4 लाख करोड़ रूपया काला धन है जो नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक में वापस नहीं आयेगा।
अब अगर भारतीय रिजर्व बैंक और मोदी सरकार दोनों के दावों को सच माना जाये तो नोटबंदी के माध्यम से करीब 5 लाख करोड़ रूपया का काला धन सफेद हुआ है। इसी प्रकार ‘बहुत हुई मंहगाई की मार’ के नारे के साथ पेट्रोल की कीमत को 40 रुपए करने, डालर के मुकाबले रूपए के अवमूलयन को रोकने खुदरा व्यापार के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( एफडीआई )पर प्रतिबंध लगाने जैसे कई चुनावी वादे मोदी ने किये थे मगर हुआ ठीक उल्टा।
मोदी के पांच साल के शासन काल में किसानों की आत्महत्या पहले से सभी रिकार्ड तोड़ रही हैं। इसकी सूची लंबी है फिर भी मोदी ने अबतक खुद को चुनावी स्टंट की कला में माहिर साबित किया है। इस प्रकार लोक सभा चुनाव के लिए मोदी सरकार जिसनें गरीब मतदाताओं को पांच वर्षो तक हाशिये पर रखा था उनकी अनदेखी की है कथित पवित्र उसूलों को हवा में उड़ाते हुए अचानक तरह तरह के प्रलोभन से मतदाताओं को खुश करने में जुट गई है।
जनता का एक बड़ा हिस्सा भोजन, आवास, आजीविका, आवश्यक सेवाओं जैसे पेयजल, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा तथा सम्मानजनक जीवन जीने के लिए अनिवार्य सुविधाओं के अभाव में जुझ रहा है। मोदी सरकार के अंतिम बजट में इनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया है कि चला चली की बेला में यह सब किया जा सकता है जबकि इस सरकार ने पिछले पांच सालों तक मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्टैण्ड अप इंडिया, स्किल इंडिया आदि नारों की आड़ में देशी -विदेशी कारपोरेट घरानों को श्रमिकों का शोषण करने और देश के संसाधनों को लूटने का मौका देकर अर्थव्यवस्था को खोखला किया है।
बेरोजगारों के लिए सम्मान जनक रोजगार पैदा करने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया गया जिनकी संख्या आज करीब 20 करोड़ तक पहुँच गई है । साफ है कि मोदी ने इस बार के चुनावी जुमलेबाजी से बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दों को बाहर रखा है और अब अपने को देश का चौकीदार घोषित कर चुनाव मैदान में है क्या देश का मतदाता पुनः अपना चौकीदार मोदी को बनायेंगा?

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