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मोदी सरकार के रहते रोजगारों में भारी गिरावट!

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नरेश दीक्षित

भारत सरकार के पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने मोदी सरकार की सात प्रतिशत की जी डी पी ग्रोथ वृद्धि के दावे पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। देश के केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ ) ने वित्त वर्ष 2019 के लिए 7•2 प्रतिशत विकास दर का अनुमान जताया है जो पिछले वित्त वर्ष से 6•7 प्रतिशत से ज्यादा है । सी एस ओ ने कहा है कि कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों में सुधार के चलते ज्यादा वृद्धि होगी अमेरिकी संगठन पयू रिसर्च सेंटर के एक सर्वे में सामने आया कि रोजगार के अवसरों की कमी फिलहाल अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
स्टडी से पता चलता है कि 67 प्रतिशत लोगों ने माना है कि रोजगार की हालत बदतर हुई हैं। अर्थशास्त्री प्राइवेट सेक्टर को पूँजी के अभाव, नोटबंदी,जी एस टी जैसे सरकारी सुधारों के चलते कृषि संकट और रियल स्टेट में मंदी इन कारणों को जुम्मेदार ठहराते हैं। भारत में अभी रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि का संबंध पहले से कहीं ज्यादा खराब है। पिछले पांच सालों में केंद्र और राज्यों में भी रोजगार का अच्छा स्तर देखने को नहीं मिला। केयर रेटिंग ने पिछले साल एक स्टडी की जिसमें पता चला था कि इकॉनमी में रोजगार-सृजन की वृद्धि दर तीन से चार प्रतिशत तक गिर गई है जो जी डी पी ग्रोथ रेट के आस-पास तक नहीं है।
दरअसल खुद के केयर रेटिंग ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 6•9 प्रतिशत जबकि अगले वित्त वर्ष के लिए 7•3 से 7•5 प्रतिशत की जी डी पी ग्रोथ का अनुमान लगाया है। आईटी, रिटेल, कंस्ट्रक्शन और फाइनेंशियल सर्विसेज से मिल कर बना सर्विस सेन्टर भारत में बड़े पैमाने पर नौकरियां देता है। लेकिन पिछले पांच सालों में घरेलू मांग में जबरदस्त सुस्ती की वजह से इन सेक्टरो में नौकरियों में भारी गिरावट आई है। पहले प्राइवेट सेक्टर की पूँजी वर्ष 2010 -11 में 3•7 लाख करोड़ रूपये थी जो घट कर वित्त वर्ष 2018 में सबसे निचले स्तर पर आ गई है।
हालत यह है कि यह 13 प्रतिशत के सालाना गिरावट के साथ अब 1•5 लाख करोड़ रूपये पर पहुंच गयी है। जब भारत में नौकरियों की स्थित पर बहस चल रही है और कई लोगों का मानना है कि हर साल करीब 1 करोड़ 20 लाख नये लोग श्रम बाजार में शामिल होते है मगर पर्याप्त नौकरियां सृजित नही हो रही हैं। हकीकत में मोदी सरकार में बेरोजगारी और अर्द्ध बेरोजगारी में वृद्धि और असमानता में वृद्धि यह भारतीय अर्थव्यवस्था वास्तविक वृद्धि है जिस पर जीडीपी के आकड़े पर्दा डालने का काम करते हैं। मोदी की कारपोरेट परस्त उदार वादी नीतियों के कारण भारत में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी पैदा हो रही हैं। यह है मोदी सरकार का छाती पीट-पीट कर विकास के खोखले सपनों का असली भारत।

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