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देश की नवरत्न कम्पनी ओएनजीसी को बेचने में जुटी मोदी सरकार!

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नरेश दीक्षित
संपादक (समर विचार)

मोदी सरकार सरकार की तिकड़ी मोदी, अमित शाह, अरूण जेटली ने मिलकर देश की नवरत्न कम्पनी में शुमार की जाने वाली पेट्रोलियम कम्पनी ओएनजीसी (आयल एण्ड नैचुरल गैस कार्पोरेशन ) को बरवाद करने पर तुली है।
इस समय कार्पोरेट क्षेत्र की दो कम्पनी ओ एन जी सी खास प्रतिद्वंदी है कैयन॔ एनर्जी जो अब सबसे अधिक चंदा देने वाले वेदांत ग्रुप का हिस्सा बन चुकी है और रिलायंस इंडस्ट्रीज जो मोदी पर वरदहस्त रखने वाले मुकेश व नीता अंबानी की कम्पनी है।
ओएनजीसी की हालत जितनी खराब होगी, उतनी ही उसे निजी हाथों में सौंपने की मुहीम तेज होगी। आप को याद होगा 2017-18 के बजट के पहले केन्द्र सरकार ने हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कम्पनी के अधिकरण के नाम पर ओएनजीसी से 36915 करोड़ रुपए निकाल कर वित्त मंत्री ने अपना राजकोषीय घाटा कम कर लिया था।
लेकिन इस भारी-भरकम रकम निकाल कर सरकार ने कम्पनी को ॠण -मुक्त कम्पनी से ॠण ग्रस्त ओएनजीसी कम्पनी को बना दिया । यह मोदी सरकार की तिकड़ी की एक सोची समझी रणनीति के साथ हो रहा है।
अब पेट्रोल, डीजल के दाम बेतहाशा वृद्धि के कारण तथा जनता के अक्रोश को ठंडा करने के लिए मोदी सरकार फिर ओएनजीसी पर करीब 30000 करोड़ रुपए का बोझ डालने जा रही है जबकि इसके समकक्ष सरकारी कम्पनी इंडियन ऑयल कार्पोरेशन को दूर रखा गया है क्योंकि सरकार जान बूझकर ओएनजीसी को खोखला कर बेचने की तैयारी में जुटी हुई है।
कुछ समय पहले तक ओएनजीसी सबसे अधिक बाजार मे पूंजी लगाने वाली कम्पनी हुआ करती थी आज सरकार की तिकड़ी के कारण उसका शेयर बाजार गिरता जा रहा है साथ ही सरकार को जब भी जरूरत होती है पैसे की वह सिर्फ ओएनजीसी से निकाल कर उसे और कमजोर करने में कोई कौर – कसर नही छोड़ती। ऐसी स्थिति में नवरत्न कहलाने वाली यह कम्पनी बंदी की कगार पर पहुंच गई है।

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