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क्या अम्बेडकर के चित्रो पर माल्यार्पण से सम्मान बढेगा?

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नरेश दीक्षित
संपादक (समर विचार)

अप्रैल को पूरे देश में डा भीमराव अंबेडकर की 127 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। प्रधान मंत्री मोदी ने अंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कांग्रेस अंबेडकर की विरोधी थी और उसने कभी वह सम्मान नही दिया जिसके वह हकदार थे । जहां तक अंबेडकर पर कब्जा करने के अभियान का सम्बन्ध है भाजपा कई स्तरो पर काम कर रही है।
पहला यह प्रचार कर रही है कि कांग्रेस अंबेडकर के विरुद्ध थी और दूसरा कि भाजपा उनके नाम पर भीम जैसे एप जारी कर और पार्टी के नेता दलितो के साथ उनके घरो में कथित भोजन कर उन्हे सम्मान का नाटक कर रहे है। इन दिनो अंबेडकर को सम्मान देने की होड़ मची हुई है और इस मामले में भाजपा ने सभी को पीछे छोड़ दिया है।
परन्तु क्या भाजपा की नीतियाँ सचमुच उन सिद्धांतो के अनुरूप है जो अंबेडकर को प्रिय थे? सम्मान का अर्थ क्या है? भाजपा दो जुबानो में बोलने में माहिर है। पार्टी के इस दावे में कोई दम नही है कि कांग्रेस ने अंबेडकर को सम्मान नही दिया। अंबेडकर के संघर्ष से प्रभावित होकर ही महात्मा गांधी ने अपना अछूत प्रथा विरोधी अभियान चलाया था।
यही अंबेडकर को सम्मान देने का सही और असली तरीका था। यद्यपि अंबेडकर कांग्रेस के सदस्य नही थे, परन्तु उन्हे नेहरू की कैविनेट में शामिल किया गया और कानून जैसा महत्वपूर्ण विभाग सौंपा गया। कांग्रेस ने अंबेडकर की नीतियो को गंभीरता से लिया और उन्हे संविधान सभा की मसविदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
नेहरू और कांग्रेस दोनो सामाजिक सुधार के हामी थे और नेहरू के कहने पर ही अंबेडकर ने हिन्दू कोड बिल तैयार किया था, जिसका आर एस एस ने जबरदस्त विरोध किया था।  अंबेडकर जाति उन्मूलन के हामी थे उनकी मान्यता थी कि जाति सामाजिक न्याय की राह सबसे बड़ी बाधा है । जहां तक जाति के उन्मूलन का प्रश्न है, उस पर संघ परिवार मौन धारण किए हुए है।
भाजपा की राजनीति केंद्र में है भगवान् राम । अगर भाजपा सचमुच अंबेडकर का सम्मान करती होती तो क्या वह भगवान् राम को को अपनी राजनीति का मुख्य प्रतीक बनाती? भाजपा ने भगवान् राम के नाम का प्रयोग कर आम हिन्दुओ को गोल बंद करने का हर संभव प्रयास किया । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अयोध्या में राम की एक विशाल प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की है।
आजकल रामनवमी का त्यौहार बहुत उत्साह से मनाया जाने लगा है और जुलूस निकालते है । वे इस बात का विशेष ख्याल रखते है कि जुलूस मुसलमानो के मोहल्लो से जरूर निकले। अंबेडकर के चित्रो और उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करके, और उनके घरो में खाना खाने का नाटक करके, अंबेडकर को सम्मान नही दिया जा सकता।
उन्हे सम्मान देने के लिए यह जरूरी है कि हम मनुस्मृति की आलोचना को स्वीकार करें, भारतीय संविधान के मूल्यों को सम्मान दें और समर्पित भाव से धर्म निरपेक्षता और सामाजिक न्याय के लिए काम करें जबकि भाजपा की वत॔मान नीतियो से भाजपा शासित राज्यो में दलितो के विरुद्ध हिंसा, सहित दलित उत्पीड़न की घटनाएँ दिन पर दिन बढ़ रही है। गांधी, नेहरू और कांग्रेस, अंबेडकर से मत विभिन्नता के बावजूद उनके सिद्धांतो का सम्मान करते थे।

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