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अवैध इन्टरनेट कालिंग रैकेट का भंडाफोड़, कुशीनगर से 6 गिरफ्तार

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लखनऊ। एटीएस ने शुक्रवार को कुशीनगर पुलिस व टर्म सेल की मद्द से अवैध इन्टरनेट कालिंग रैकेट (Illegal internet calling racket) का भंडाफोड़ करते हुए थाना अहिरौली से 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। बदमाशों के पास से 07 लैपटाप, बिल-बुक, मोबाइल और अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं।

Illegal internet calling racket busted
Illegal internet calling racket busted

बता दे कि एटीएस ने बीते वर्ष इण्टरनेट गेटवे को बाईपास कर राष्ट्रीय सुरक्षा को धता बताते हुए कार्य करने वाले 27 आारोपियों को गिरफ्तार करते हुए 16 सिम बॉक्स और लगभग 50,000 सिम बरामद किये गए थे।

लेकिन इन सिम बॉक्स में ट्रैफिक कहाँ से आ रहा है और नेट कालिंग कार्ड कहाँ से लोगों को मिल रहे हैं, इसकी जानकारी नहीं हो पा रही थी। यूपी एटीएस लगातार इस मामले में मिल रही हर छोटी-बड़ी जानकारी हासिल कर जांच में जुटी थी।

यूपी एटीएस ने आईजी असीम अरूण ने शुक्रवार को बताया कि कालिंग रैकेट से जुड़ी जानकारियों को विकसित करते हुए एटीएस ने आज कुशीनगर पुलिस व टर्म सेल (टेलीकाम इनफार्मेंट रिसोर्स एंड मोनिटरिंग) के सहयोग से ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ कर 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो आरएन ग्रुप प्रालि नाम के नाम से अहिरौली थाना क्षेत्र के तिनहवा बाजार हाटा कुशीनगर रोड पर वीओआईपी (वाइस ओवर इंटरनेंट प्रोटोकाल) डायलर का काम करता है।

उन्होंने बताया कि पकडे गए 6 लोगों की पहचान राम प्रताप सिंह, विजय शर्मा, राम सिंगार सिंह, संतोष सिंह, हरिकेश बहादुर और बृजेश के रूप में हुई है। सभी थाना अहिरौली कुशीनगर के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि कम्पनी का प्रमुख राम प्रताप सिंह दुबई में रह चुका है।

क्या है सिम बाक्स का धंधा

आईजी ने बताया कि सिम बाक्स के अंतर्गत विदेश से इन्टरनेट काल कर, सिम बाक्स के माध्यम से वाइस काल में बदल कर भारत के किसी भी नंबर पर बात कराई जा सकती है और विदेशी नम्बर की जगह डिस्प्ले पर भारत का ही नम्बर दिखेगा। ऐसी कॉल गेटवे के माध्यम से नही आती है जिसके कारण भारतीय सुरक्षा एजेंसियो एवं टेलीफोन नियामक कम्पनी ट्राई ज्म्त्ड/ज्त्।प् के द्वारा इनकी म़ॉनीटरिंग किया जाना संभव नहीं हो पता है।

उन्होंने बताया कि पकड़े गए लोग कालिंग कार्ड बेचते हैं जिनके माध्यम से कॉल करने पर इंटरनेट क़ॉल को वोइस कॉल में बदल देते हैं। उन्होंने बताया कि पूछताछ में पता चला कि राम प्रताप सिंह को प्रदेश के बाहर के एक व्यक्ति के द्वारा वीओएस3000 सॉफ्टवेयर के बारे में बताया गया था। रामप्रताप का मुख्य सर्वर विदेश में है। इसमें सभी काम ब्राउज़र के माध्यम से इन्टरनेट पर किया जाता है।

आईजी ने बताया कि वीओएस3000 का मुख्य कार्य वीओआईपी कॉल को पीएसटीएन डायवर्ट करने का है। इन अभियुक्तों द्वारा सिम बाक्स पर जाने वाली कॉलों (टै्रफिक) को नियंत्रित किया जाता है। यानि किस सिम बाक्स को कितनी कॉल देनी है।

आईजी एटीएस ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों के पास 19 गेटवे आईपी थे। इसके जरिए यह लोग कालिंग कार्ड बेचकर लोकल ग्राहक भी बना हे थे, जिसमे लगभग 6000 उपभोक्ता हैं। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह दो साल से इस धंधे से करीब 33 लाख रुपये कमा चुके हैं।

उन्होंने बताया कि इस सम्बन्ध में थाना-अहिरौली पर मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जा रही है। असीम अरुण, आईजी ने बताया कि एटीएस आरोपियों को पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर अग्रिम पूछताछ करेगी।

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