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आरएसएस प्रमुख का कर्नाटक में धर्म संसद में दिया गया भाषण निन्दनीय: हाजी फ़हीम सिद्दीक़ी

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लखनऊ। इण्डियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी फ़हीम सिद्दीक़ी ने मोहन भागवत के भाषण की निन्दा करते हुए कहा कि आरएसएस प्रमुख (RSS Chief) का दिमाग़ी संतुलन बिगड़ गया है।

RSS chief's speech in Karnataka is condemnable: Haji Faheem Siddiqui
RSS chief’s speech in Karnataka is condemnable: Haji Faheem Siddiqui

कर्नाटक में धर्म संसद को सम्बोधित करते हुए भागवत का कहना है कि राम मन्दिर राम जन्म भूमि पर ही बनेगा, वहीं बनायेगें, कोर्ट का फ़ैसला हमारे हक़ में होगा। मोहन भागवत के इस प्रकार के बयान को चुनाव आयोग को अपने सज्ञान में लेना चाहिये।

इस समय कई राज्यों में चुनाव का माहौल है, उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव हो रहे हैं, गुजरात में भी चन्द रोज़ में चुनाव होने वाला है, उड़ीसा में पोलिंग हो चुकी है, मध्य प्रदेश के भी चुनाव क़रीब हैं। ऐसे में हिदुत्व वादी बयान देना मन्दिर वहीं पर बनेगा, सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला कुछ भी हो, घार्मिक उन्माद फैलाने जैसा है।

क्या मोहन भागवत यह नहीं जानते कि 5/दिसम्बर 2017 से सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद, राम जन्म भूमि विवाद की सुनवाई हर रोज़ होगी। ऐसे में इस प्रकार का बयान देना अराजक्ता फैलाने जैसा है।

धर्म संसद के तीसरे दिन विश्व हिन्दु परिषद के राष्ट्रीय ज्वाइन सिक्रेट्री सुरेन्द्र जैन ने तो 18/अक्टूबर 2018 की तारीख़ का भी एलान कर दिया कि उस दिन से राम मन्दिर का कार्य शुरू हो जाएगा। धर्म संसद में तीनों रोज़ धार्मिक उन्माद फैलाने वाले भाषण होते रहे।

स्वामी नरेन्द्र नाथ ने नौजवानों में उत्तेजना भरते हुए अपील की कि हिन्दुओं को हाथ में मोबाइल फ़ोन नहीं हथियार रखने चाहिये। हज़ारों रूपये के मोबाइल की क्या आवश्यकता। हथियार रखने की अपील को आत्मरक्षा, सेल्फ़ डिफे़न्स बताया। इनके ऊपर क़ानूनी कार्यवाही होनी चाहिये।

भाजपा के बेलगाम सांसद सुब्रा मुनियम स्वामी ने भी भागवत की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा कि मैं उनके बयान से सहमत हूँ फ़ैसला मेरे ही हक़ में होगा और मन्दिर वहीं बनेगा। स्वामी ख़ुद सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं, क़ानून जानते हैं।

उसके बाद भी क़ानून का उल्लघन कर रहे हैं। मोहन भागवत, सुब्रा मुनयम स्वामी, सुरेन्द्र जैन, स्वामी नरेन्द्र नाथ सुप्रीम कोर्ट से बड़े हो गये हैं या क़ानून की हैसियत इनकी निगाहों में नहीं है। यह लोग देश में फ़िरक़ा परस्ती फैलाकर फिर राम के नाम को बेचना चाहते हैं।

राम ने तो आज्ञा का पालन करते हुए राजपाट छोड़कर बनवास गुज़ारा और यह आज के राम भक्त राम के नाम पर सत्ता का सुख भोगते हैं, जनता का ख़ून चूसते हैं। सुप्रीम कोर्ट को ऐसे लोगों पर शिकंजा कसना चाहिये।

मोहन भागवत, सुब्रा मुनयम स्वामी, सुरेन्द्र जैन, स्वामी नरेन्द्र नाथ आदि भी सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का ख़याल रखें वरना अपना दिमाग़ी इलाज करायें। कोर्ट का फ़ैसला आने तक इन्तेज़ार करें और उस फ़ैसले को सभी समुदाय के लोगों के लिए मान्य होना चाहिये।

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