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प्राकृतिक खेती से दो गुनी हो सकती है किसानों की आय

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  • जेएनपीजी कॉलेज में आयोजित सेमिनार में डॉ. शकुंतला मिश्रा विवि के डीन एकेडमिक प्रो. एपी तिवारी ने रखे विचार

लखनऊ। प्राकृतिक खेती (Natural Farming) से भारत में किसानों की आय दो गुनी की जा सकती है। प्रकृति आधारित पर परागत खेती के द्वारा ही यह संभव है।

Farmers income can be doubled by natural farming
Farmers income can be doubled by natural farming

यह बात डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्टड्ढ्रीय पुनर्वास विवि के डीएन एकेडमिक्स प्रो. एपी तिवारी ने कही। वह सोमवार को श्री जयनारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की ओर से आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।

भारतीय कृषि चुनौतियां एवं अवसर विषय पर हुए इस विशिष्ट व्याख्यान में प्रो. तिवारी ने कहा कि कृषि को पोषणीय बनाने के लिए हमें फिर से अपनी पर परागत गौ आधारित प्राकृतिक खेती की ओर जाना होगा।

तभी हम अपनी कृषि योगय भूमि की उर्वरता को बचा पायेंगे और किसानों की आय को दोगुनी कर पायेंगे जो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है।

उन्होंने इस बात पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया कि जिन प्रदेशों में आधुनिक खेती जैसे बीटी सीड्स आदि के लिए किसानों ने बैंकों से लोन लिया है, वहीं पर किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं की घटनायें अधिक दर्ज हुई हैं।

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एसडी शर्मा ने कहा कि किसानों के लिए खेती लाभकारी न होने के कारण ही वे कर्ज के दुष्चक्र में फंस रहे हैं और उनमें खेती से पलायन की प्रवृति बढ़ रही है।

अर्थशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ. भारती पांडेय ने कहा कि वैश्वीकरण से भारतीय कृषि और कृषक दोनों ही खतरे में हैं।

किसानों में खेती के प्रति उदासीनता बढ़ रही है। जिसका परिणाम खाद्य असुरक्षा के रूप में सामने है। डॉ. एससी हजेला कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे।

इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत डॉ. हिलाल अहमद और धन्यवाद ज्ञापन धुरंधर यादव ने किया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. मानस मणि तिवारी और डॉ सामिया अंसारी ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षक और छात्र-छात्रायें बड़ी सं या में उपास्थित रहे।

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