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सावन के सोमवार को दर्शनार्थियों की उमड़ती भीड़

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कन्नौज। कन्नौज के सुविख्यात होने के कई कारण हैं। इनमें से बाबा गौरीशंकर का आर्शीवाद बड़ा कारण है। कन्नौज के पूर्वी छोर पर स्थित भव्य शिव मंदिर की विशेष बात है कि गर्भगृह में स्थित अद्भुत शिवलिंग में पूरे शिव परिवार के दर्शन हो जाते हैं।
इस कारण से इस मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालु पूरे मनोयोग से यहां दर्शन करने आते हैं। सावन के महीने में तो यह संख्या हजारों में पहुंच जाती है। शहर के पूर्वी छोर में स्थित बाबा गौरीशंकर मंदिर को पौराणिक भाषा में गौरी पीठ भी कहा जाता है।
लोकोक्ति है कि जहां-जहां माता सती के शव के अंग गिरे थे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई थी। उसी क्रम में कान्यकुब्ज (कन्नौज) क्षेत्र में मां गौरी के अंग गिरने से यह स्थान भी शक्तिपीठ में शुमार किया जाता है।
Sawan Somwar
Sawan Somwar
श्रद्धालु गौरी और शंकर दोनों को अर्धनारीश्वर रूप में भी देखते हैं, अर्थात शिव का आधा अंग पुरुष रूप में है और दूसरे रूप में पार्वती स्वरूप हैं। रामचरित मानस में भी इसका उल्लेख मिलता है।
बाबा गौरीशंकर मंदिर का गौरवशाली इतिहास काफी पुराना है। इस ऐतिहासिक सिद्धपीठ के बारे में कुछ स्थानों पर उल्लेख मिलता है कि सम्राट हर्षवर्धन के समय में यहां 11 हजार पुजारी शिवार्चन करते थे।
लोगों का कहना है कि कभी पतित पावनी गंगा की धार इस मंदिर को छूकर निकलती थी, लेकिन कालांतर में गंगा की धार इस मंदिर से करीब चार किलोमीटर दूर चली गईं।
इस मंदिर में सावन की शुरुआत होते ही श्रद्धालु सुबह से शाम तक बाबा के दर्शन करने आते हैं। गौरीशंकर मंदिर में सावन के सोमवार को अद्भुत श्रंगार किया जाता है। जिसे देखने के लिए शहर के ही बल्कि दूरस्थ जनपदों से भी लोग यहां आते हैं।

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