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शिवलिंग का अद्भुद मन्दिर “बाबा गौरीशंकर”

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मंदिर का इतिहास

सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर प्राचीन मंदिर (Gauri Shankar Temple) है। छठवीं सदी में मंदिर का निर्माण हुआ था। उस समय कन्नौज को कान्यकुब्ज के नाम से जाना जाता था। गौरी मुखी शिव¨लग जमीन से निकला था। राजा हर्षवर्धन ने शिव¨लग की पूजा-अर्चना के लिए एक हजार पुजारी लगा रखे थे।
मंदिर के मुख्य द्वार से गंगा बहती थी। शिव¨लग के साथ मां गौरी व सूर्य की प्रतिमा विराजमान है। मां गौरी सातवीं व सूर्य प्रतिमा नवीं शताब्दी में विराजमान हुईं थीं। हर सोमवार को यहां दूर-दराज से बाबा के दर्शन करने को भक्त आते हैं।
Gauri Shankar Temple Kannauj
Gauri Shankar Temple Kannauj

तैयारियां

सावन भर मंदिर की अलग विशेषता रहती है। दस जिलों के कांवड़िये जल लेकर बाबा के दर्शन करने आते हैं। सोमवार को भक्तों की भीड़ रहती है। अमेरिका तक से भक्त बाबा के दर में माथा टेकने आ चुके हैं।
सावन भर मेला लगता है। भाद्रपद में तीन दिन झांकी निकलती है। प्रत्येक सोमवार का अलग-अलग महत्व है। बताते हैं कि पहले सोमवार को दर्शन करने से 27 गुना फल मिलता है।
गौरी शंकर मंदिर नगर का ऐतिहासिक सिद्धपीठ मंदिर है। यहां से कोई निराश नहीं जाता है। बाबा सभी भक्तों की मुराद पूरी करते हैं। सावन भर मंदिर की अलग विशेषता रहती है। कई जिलों से भक्त बाबा के दर्शन करने आते हैं।
                                                                              – मथुरा प्रसाद त्रिवेदी, मुख्य पुजारी।
छठवीं सदी में मंदिर का निर्माण हुआ था। गौरी मुखी बाबा का शिव¨लग जमीन से निकला था। राजा हर्षवर्धन से लेकर जयचंद तक बाबा की पूजा करते थे। बाबा सभी की मुराद पूरी करते हैं।
                                                – राजेश श्रीवास्तव, अध्यक्ष गौरी शंकर मंदिर सेवा समित।

कभी हिंदू साम्राज्य की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित रहा कन्नौज

कन्नौज उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख मुख्यालय एवं नगर पालिका है। इस शहर का नाम संस्कृत के कान्यकुब्ज शब्द से बना है। कन्नौज एक प्राचीन नगर है, जो कभी हिंदू साम्राज्य की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित रहा था।
माना जाता है कि कान्यकुब्ज ब्राह्मण मूल रूप से इसी स्थान के रहने वाले हैं। सम्राट हर्षवर्धन के शासन काल में कन्नौज अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया था। वर्तमान कन्नौज शहर अपने इत्र व्यवसाय के लिए पूरे देश और दुनिया में मशहूर है। यहां मुख्य रूप से कन्नौजी बोली, कनउजी भाषा के रूप में इस्तेमाल की जाती है।

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