चरित्र निर्माण का सर्वोच्च साधन होती हैं पुस्तकें : नाईक
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक (Ram Nayak) की अध्यक्षता में प्रख्यात साहित्यकार, समाजधर्मी एवं गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा के अमृत महोत्सव के अवसर पर उनके सद्यः प्रकाशित उपन्यास ‘‘अहल्या उवाच‘‘ उनकी समग्रता पर केंद्रित ग्रंथ ‘‘सहजता की भव्यता‘‘ तथा हिंदी मासिक पत्रिका ‘‘पॉचवॉ स्तम्भ‘‘ के विशेषॉक का लोकार्पण नई दिल्ली स्थित कॉस्टीट्यूशन क्लब आफ इण्डिया में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ राम नाईक द्वारा मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया।

राज्यपाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि पुस्तकें ज्ञान का महत्वपूर्ण स्रोत होतीं हैं। गीता में कहा गया है कि ‘‘ज्ञानात ऋमे न मुक्ति‘‘ अर्थात ज्ञान के बिना मुक्ति संम्भव नहीं है।
यदि व्यक्ति में ज्ञानार्जन के प्रति लगाव हो तो वह प्राचीन से प्राचीन पुस्तकों को बडी ही सहजता एवं सरलता के साथ हासिल कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस आधुनिक दौर के बाजार में प्रत्येक भाषा में विपुल सहित्य मौजूद है।
श्री नाईक ने कहा कि पुस्तकें चरित्र निर्माण का सर्वोच्च साधन होती हैं। अच्छा साहित्य जीवन को सुधारने तथा मृत्योपरॉत जीवन को सॅवारने की शिक्षा देता है।
