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आरटीआई एक्ट के खिलाफ बयान दे बुरे फंसे केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह

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एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने राष्ट्रपति,पीएम और लोक सभा के स्पीकर से शिकायत कर जताया विरोध

लखनऊ। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में बीते बुधवार हुए केन्द्रीय सूचना आयोग के12वें वार्षिक सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री (Jitendra Singh) जितेंद्र सिंह द्वारा एक ऐसी प्रणाली विकसित करने की बात करना जिसमें आरटीआई (RTI) आवेदन केवल वो लोग दाखिल कर सकें जिनका मामले से लेना-देना हो देश के आरटीआई कार्यकर्ताओं को रास नहीं आया है।

 

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जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) के इस बयान पर कड़ी नाराजगी जताते हुए लखनऊ की आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर अपना विरोध दर्ज कराया है।

गौरतलब है कि केंद्रीय सूचना आयोग के 12वें सालाना सम्मेलन को सम्मानित अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए सिंह ने कहा था कि मामले से मतलब रखने वाले लोगों को ही आरटीआई प्रयोग की अनुमति देने से सीआईसी पंहुंचने वाले आरटीआई के मामलों की संख्या कम होगी।

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री सिंह हालाँकि कहा था कि वह नयी प्रणाली का सुझाव नहीं दे रहे थे बल्कि उपस्थित लोगों से अनावश्यक आवेदनों से निपटने के तरीके पर विचार करने का अनुरोध कर रहे थे पर सरकार पर आरटीआई की धार को कुंद करने के नए-नए तरीके ईजाद करने का आरोप लगाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी ने सिंह की इस टिप्पणी का विरोध किया है और कहा है कि वे पूरी तरह से इस वक्तव्य के खिलाफ हैं।

सिंह के वक्तव्य को आरटीआई एक्ट की धारा 3 और 6(2) के प्रतिकूत बताते हुए उर्वशी ने सिंह के सुझाव को अवैध बताया और संसद द्वारा पारित कानून के खिलाफ वयान देने के लिए केन्द्रीय मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्यवाही के लिए राष्ट्रपति,पीएम और लोक सभा के स्पीकर को शिकायती पत्र भेज दिए हैं, गौरतलब है कि आरटीआई एक्ट की धारा 3 देश के प्रत्येक नागरिक को सूचना मांगने का अधिकार देती है और धारा 6(2) के तहत आरटीआई आवेदक से उसके पते के अतिरिक्त और कोई व्योरा नहीं माँगा जा सकता है।

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