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सूचना न देने पर हुआ, अर्थदण्ड अधिरोपित, विभागीय कार्यवाही की दी गयी, चेतावनी

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लखनऊ। सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत मेरठ निवासी रहीमुद्दीन सैफी ने दिनांक 27.10.2015 को जनसूचना अधिकारी, जिलाधिकारी, शामली को आवेदन-पत्र देकर जानकारी चाही थी कि जनपद शामली के ग्राम लिसाढ़ में साम्प्रदायिक दंगा सितम्बर, 2013 में हुआ था।

Muzaffarnagar riots
Muzaffarnagar riots

उस दंगे (बवाल) को नियंत्रण करने के लिए कितनी धनराशि खर्च हुई, दंगे में कितने लोगों की मृत्यु हुई, कितनी धनराशि का उन्हें मुआवजा दिया गया है, कितने मृतकों के आश्रितों को नौकरी दी गयी, दंगे में कितने लोग बेघर हुए हैं, तथा मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में वर्ष 2013 के दंगे में 13 लोगों की हत्या दगाईयों द्वारा कर दी गयी थी।

जिनमें 11 लोगों की आज तक लासे नहीं मिली है, उस समय तैनात लेखपाल ने रिपोर्ट शामली के उच्चाधिकारियों को प्रेषित की, मगर उसकी छायाप्रतियॉ आज तक वादी को उपलब्ध नहीं करायी गयी है, आदि से सम्बन्घित बिन्दुओं की जानकारी विभाग से मांगी थी, परन्तु विभाग द्वारा वादी को कोई जानकारी नहीं दी गयी। अधिनियम के तहत सूचना न मिलने पर वादी ने राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल कर प्रकरण की जानकारी चाही है।

राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने जनसूचना अधिकारी, जिलाधिकारी, शामली को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी कर आदेशित किया कि वादी द्वारा उठाये गये बिन्दुओं की बिन्दुवार सभी सूचनाएं अगले 30 दिन के अन्दर अनिवार्य रूप से वादी को उपलब्ध कराते हुए, मा0 आयोग को अवगत कराये, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि वादी को सूचना क्यों नहीं दी गयी है, क्यों न उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाये, परन्तु प्रतिवादी ने न तो वादी द्वारा उठाये गये बिन्दुओं की सूचना वादी को उपलब्ध करायी है, और न ही मा0 आयोग के समक्ष उपस्थित हुए है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी जानबूझकर वादी को सूचना उपलब्घ नहीं करना चाहता है।

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