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मनमोहन सरकार से दोगुना मोदी सरकार में हुई वायु सैनिकों की मौत

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लखनऊ। जहां वर्ष 2007 से साल 2013 तक यानि सात वर्ष में देश के जितने वायुसैनिक (Air soldiers) शहीद हुए, वहीं उतने ही वायु सेना के जवान साल 2016 से वर्ष 2017 बीते 10 माह में मौत का ग्रास बन चुके हैं।

From the Manmohan government Due to the death of air soldiers in the Modi government
From the Manmohan government Due to the death of air soldiers in the Modi government

भारतीय सेना के दूसरा अहम अंग वायु सेना के 08 जवान एक जनवरी 2016 से अक्टूबर 2017 तक जान गंवा चुके हैं। जबकि वर्ष 2008 से 31 दिसम्बर 2013 तक समय में देश मे कुल 08 ही वायु सैनिक वायुसैनिक शहीद हो थे।

यह तथ्य जनसूचना का अधिकार के तहत वायु सेना मुख्यालय की ओर से मुहैया कराई गई जानकारी में सामने आए हैं।

दरअसल आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा ने बीते सितम्बर महीने की 4 तारीख को भारत के रक्षा मंत्रालय में एक आरटीआई अर्जी भेजी थी। उनकी आरटीआई पर नई दिल्ली स्थित भारत के वायु सेना मुख्यालय की विंग कमांडर और केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी सुमन अधिकारी ने जवाब भेजा।

विंग कमांडर सुमन अधिकारी की ओर से दी गई सूचना के अनुसार देश ने साल 2007 में 02, साल 2008 में 01, साल 2013 में 05, साल 2016 में 01 और चालू साल 2017 के शुरुआती 10 महीनों में 7 वायुसैनिक गवां दिए हैं।

एकटीविस्ट संजय कहते हैं कि आंकडों से स्पष्ट है कि वर्ष 2007 से 2013 तक के पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अंतिम 7 सालों में 8 वायुसैनिक शहीद हुए थे। जबकि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरंभिक साढ़े तीन साल में ही 8 वायुसैनिक शहीद हो गए हैं।

संजय का कहना है कि अगर दोनों प्रधानमंत्रियों के कार्यकालों की तुलना करें तो वर्तमान पीएम मोदी के कार्यकाल में देश के वायुसैनिकों के शहीद होने की दर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल की दर से दोगुनी हो गई है।

संजय का कहना है कि वायुसैनिकों की मौत देश की अपूर्णनीय क्षति है। उन्होंने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर वायुसैनिकों के शहीद होने की दर के दोगुना होने के कारणों की जांच कराने और इसकी रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की है।

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