बहराइच। अन्ना प्रथा को समाप्त करने के प्रदेश शासन द्वारा काँजी हाउस (Kanji House) की स्थापना की गयी थी लेकिन जिम्मेवार विभाग की लापरवाही का नतीजा देखिये कि कभी जनपद मे सैकड़ो की संख्या मे नजर आने वाले कांजी हाउस अब दर्जन की संख्या मे भी नजर नही आते है।
बताते चलें कि पंचायती राज एक्ट बर्ष 1995 मे लागू होने के बाद जिला जिला परिषद को जिला पंचायत का दर्जा मिला।
बर्ष 1995 मे ही जिला पंचायत ने उक्त काँजी हाउस ठेके पहले बड़े जोशो खरोस के साथ उठाये गये बाद मे उपेक्षा के चलते यह ठेके समाप्त से हो गये।
1995 से पूर्व जनपद के प्रत्येक विकास खण्डो मे कांजी हाउस खोले गये थे। इनमे कुछ विभाग की जमीन पर थे तो कुछ किराये के भवनों मे खोले गये थे।
काँजी हाउस मे पशुओं की देखभाल के लिये वाकायदा एक कर्मचारी की तैनाती भी अनिवार्य की गयी थी। काँजी हाउस मे बन्द होने वाले पशुओं को पालक एक निश्चित रकम लेकर छोड़ता था।
उचित देखभाल के अभाव मे अब उक्त ठेका लेने के लिये उसको तेल लगाने से भी कोई तैयार नही होता दिखता है। अन्ना जानवरों पर नियंत्रण रखने के लिये जनपद मे करीब पौने दो सौ काँजी हाउस खोले गये थे ।
जिसका नियंत्रण सीधी जिला पंचायत के पास था। यह दीगर बात है कि इनमे से आधे से अधिक कांजी हाउस तो पूरी औपचारिकता का क्रियान्वयन भी न कर सके।
सरकारी भवन तो खण्डहर हो ही गये साथ मे किराये के भवन मे चलते काँजी हाउस संचालक या ठेकेदार को प्रशासननिक एवं स्थानीय पुलिस सहयोग के अभाव मे अपने हाथ खड़े करने पड़े।
अब आलम यह है कि खेतो को घिरवाने के बवजूद किसानों को रात रात भर जागकर फसलों की रखवाली करनी पड़ रही हैं।