Tevar Times
Online Hindi News Portal

उप्र ग्राउण्ड वाटर मैनेजमेण्ट रेग्युलेशन बिल-2017 लाने की तैयारी

0
  • भूजल उपभोक्ताओं को पंजीकरण कराना अनिवार्य

  • भूजल निकास की मात्रा के अनुसार शुल्क वसूला जायेगा

लखनऊ। प्रदेश में भूजल संसाधनों की सुरक्षा, संरक्षण, प्रबन्धन एवं नियमन किए जाने तथा भूजल की उपलब्धता बनाये रखने के लिए उप्र ग्राउण्ड वाटर (Management Regulation Bill-2017) तैयार किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य आम जनता को गुणवत्तापरक भूजल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। यह बिल भारत सरकार के माडल ग्राउण्ड वाटर (सस्टेनेबल मैनेजमेण्ट) बिल-2016 के आलोक में है।

UP Preparation of Upgrad Ground Water Management Regulation Bill -2017
UP Preparation of Upgrad Ground Water Management Regulation Bill -2017

प्रमुख सचिव, लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल, मोनिका एस.गर्ग ने बताया कि प्रस्तावित उत्तर प्रदेश ग्राउण्ड वाटर (मैनेजमेण्ट एण्ड रेग्युलेशन) बिल-2017 में कृषि एवं अन्य घरेलू उपभोक्ताओं को सीधे नियमन की परिधि से बाहर लाते हुए स्वनियमन एवं सहभागिता एप्रोच के आधार पर प्रेरित किये जाने का भी प्राविधान किया गया है।

बिल में वर्णित प्राविधानों को मुख्यतः औद्योगिक, कामर्शियल एवं थोक उपभोक्ताओं पर केन्द्रित किया गया है। इसे प्रदेश की स्थानीय आवश्यकताओं एवं भूगर्भ जल परिस्थितियों के अनुरूप बाटम-अप-एप्रोच के सिद्धांत के आधार पर तैयार किया गया है।

इसके साथ ही प्रदेश की प्राथमिकताओं को दृष्टिगत रखते हुए इस प्रस्तावित बिल के प्राविधानों को सरल एवं जनोपयोगी बनाने का प्रयास किया गया है।

प्रमुख सचिव ने बिल के प्राविधानों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इस बिल के अन्तर्गत पूरे प्रदेश को भूजल की समस्या के दृष्टिगत अधिसूचित एवं गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में बांटा गया है।

इन क्षेत्रों में भूजल के समुचित प्रबन्धन एवं नियमन हेतु ग्राम पंचायत स्तर से प्रदेश स्तर तक विभिन्न समितियों का गठन भी प्रस्तावित है। बिल के अन्दर निहित प्राविधानों के अनुसार भूगर्भ जल के व्यावसायिक, औद्योगिक एवं थोक उपभोक्ताओं को पंजीकरण कराना जरूरी होगा।

इनके लिए भूजल निकास की सीमा निर्धारित होगी। भूजल निकासी के लिए इन्हें एनओसी भी जारी किए जायेंगे। भूजल निकास की मात्रा के अनुसार शुल्क भी वसूला जायेगा। इस तरह से प्राप्त शुल्क का उपयोग प्रदेश में भूजल प्रबन्धन की विभिन्न गतिविधियों में किया जायेगा। बिल में भूजल प्रदूषण की रोकथाम स्वविनियमन, वर्षा जल संचयन, भूजल रिचार्ज, जल भराव की रोकथाम के उपाय किये जायेंगे।

उन्होंने बताया कि भूजल एक्ट में वर्णित प्राविधानों के उल्लंघन की स्थिति में दण्ड की व्यवस्था का प्रस्ताव भी किया गया है। बिल में अंकित प्राविधानों में किसी भी विवाद के निपटारे के लिए भूजल शिकायत निवारण प्रकोष्ठ की भी व्यवस्था की गई है।

राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस बिल के प्रभावी होने पर संकटग्रस्त क्षेत्रों में भूजल प्रबन्धन एवं विनियमन संभव हो सकेगा तथा भूजल उपलब्धता एवं इसके स्तर में प्रभावी सुधार सम्भव हो सकेगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More