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प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार रोकने की मुहिम को ठेंगा दिखाती यूपी पुलिस

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मोदी जी… आप कितना भी देश को ‘डिजिटल इंडिया’ बना लो, लेन देन का रास्ता निकाल लेगी उत्तर प्रदेश की पुलिस (UP Police) । पासपोर्ट बनवाने मे तमाम सहूलियतें सरकार ने दे दिया पर अभी अवैध कमाई का एक बडा रास्ता प्रक्रिया मे शामिल है। पासपोर्ट आवेदन आनलाइन होने के बाद निवास सत्यापन के लिए आवेदन पत्र सम्बंधित थाने में भेज दिया जाता है। जिसमें पुलिस (UP Police) आवेदक से नोटरी शपथपत्र, आधार कार्ड, निवास प्रणामपत्र मांगती है।

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भारत सरकार ने सत्यापन का काम आवेदक के निवास स्थान पर जाकर करने की व्यवस्था दी गई है, पर यहीं से वसूली शुरू होती है। थाने का सिपाही या होमगार्ड आवेदक के घर पहुंचकर सूचना देता है। सूचना के बदले 100 से 500 रुपये जो जैसा मिला वसूलता है। अपना मोबाइल नंबर देकर थाने बुलाता है।
वहां कागजी खानापूर्ति के बाद 1500 से 3000 रुपये सत्यापन सुविधा शुल्क लिया जाता है। अपनी पहुंच के मुताबिक आदमी सोर्स सिफारिश लगाकर 1500 रुपये तक थाने के दीवान /मुंशी को देता है। पैसा न देने की स्थिति में ये खेल करते हैं कि आवेदक की फोटो प्रमाणित करना छोड देते है। अधिकतर मामलों मे आवेदक रूपया देकर अपना काम सही करवा लेता है।

Passport: UP Police Corruption

अब आइये इस अवैध वसूली पर रोक के उपायों पर विचार करें। थानाध्यक्ष फिर पुलिस अधीक्षक दोनों स्तरों पर ये पुलिस विभाग का स्थापित मत है। इसकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया जाता है। हां, लेट लतीफी दूर करने के लिए सत्यापन एक सप्ताह मे अपेक्षित है।

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फिर भी पासपोर्ट के लिए आवेदक का निवास का भौतिक सत्यापन करने के नाम पर योगी सरकार की प्रदेश पुलिस हर थाने मे अवैध वसूली मे लगी है। क्या इसे रोके जाने के उपाय सरकार या सरकारी तंत्र को नहीं करना चाहिए। सरकार को पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वालों का पुलिस सत्यापन खत्म करने की घोषणा जल्द करनी चाहिए।

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