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उत्तर प्रदेशः चुनावी साल एलईडी वैन से विज्ञापन पर हुए खर्चे

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लखनऊ। काफी पुरानी बॉलीवुड फिल्म का एक गाना है ‘ये पब्लिक है ये सब जानती है। जी हाँ, पब्लिक वास्तव में सब जानती है पर अफसोस है कि पब्लिक जिन लोगों को अपना सरपरस्त बना देती है वे नेता सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनने का नाटक करते हैं और आम जनता के टैक्स के पैसों को जनकल्याणकारी कामों में लगाने की जगह पर अपने झूंठ का ढोल पीटने में बर्बाद कर देते हैं।

Advertising expenses from the Uttar Pradesh election year LED van
Advertising expenses from the Uttar Pradesh election year LED van

नेता जानते हैं कि झूंठे प्रचार का फायदा सिर्फ और सिर्फ एक तो प्रचार करने वाली कंपनी को होगा और दूसरे उनको होगा जिनका इस कंपनी को काम देने के कमीशन में हिस्सा होता है। इन प्रचारों को देखकर जनता के मन में तो बस यह क्षोभ ही आता है कि आखिर दिखाई जा रही योजना धरातल तक क्यों नहीं पहुँच पाई और क्यों अब यह प्रचार करके जले पर नमक छिड़का जा रहा है।

यही कारण है कि ये प्रचार वोट में नहीं बदल पाते और काम करने के स्थान पर महज प्रचार करने वाले सत्ताधारी दल सत्ता से बेदखल हो जाते है। पिछले विधान सभा आम चुनावों में यूपी की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी बहुत बुरी तरह से हारी थी पर क्या आप जानते हैं कि तत्कालीन अखिलेश सरकार ने चुनावी साल में प्रचार पर अनाप-शनाप खर्चा किया था।

यदि नहीं, तो हम आपको इस वारे में जानकारी देते है क्योंकि सूबे की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर की गई एक आरटीआई से एक ऐसा खुलासा हुआ है।

जिससे अखिलेश यादव सरकार द्वारा जनता के टैक्स के पैसों को प्रचार में खुलेआम उड़ाने की बात सामने आ रही है। लोकजीवन में पारदर्शिता और जबाबदेही के लिए काम कर रहे देश के नामचीन कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते 23 मई को यूपी के सूचना और जनसंपर्क निदेशालय में एक आरटीआई दायर करके पिछले और हालिया वित्तीय वर्ष में यूपी सरकार द्वारा एलईडी वैन से विज्ञापन आदि से सम्बंधित 4 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी।

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