कब्र में दफन हो गया दुनिया को अदब की रोशनी देने वाला चिराग
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सदियों तक महकेगी अनवर जलालपुरी के कब्र की मिट्टी
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हजारों की भीड़ के साथ सुपुर्दे खाक हुए अनवर जलालपुरी
घनश्याम भारतीय
अंबेडकरनगर। मेरे जमीर की चादर पे कोई दाग नहीं, तमाम उम्र इसे आसुओं से धोया है। यू मेरे कब्र की महकेगी एक दिन मिट्टी, रहे हयात में मैने गुलाब बोया है। मुशायरों की सफलता की जमानत रहे उस्ताद शायर अनवर जलालपुरी (Anwar Jalalpuri) के शागिर्द अनिल जलालपुरी द्वारा लिखा गया यह शेर आज उन्हीं के उस्ताद मरहूम अनवर जलालपुरी की अंतिम यात्रा पर उमडी भीड पर अक्षरशः लागू हुआ।
