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केजीएमयू ट्रॉमा सर्जरी विभाग का प्रथम स्थापना दिवस मना

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लखनऊ। पूरी दुनिया में पहचान बना चुके लखनऊ का किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (KGMU) के ट्रॉमा सर्जरी विभाग का पहला स्थापना दिवस गुरुवार को राजधानी लखनऊ स्थित कलाम सेंटर के सभागार में मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ दीप जलाकर किया गया।

KGMU Trauma Center Department's 1st Foundation Day
KGMU Trauma Center Department’s 1st Foundation Day

कार्यक्रम में मुख्य अथिति के रूप में केजीएमयू के वॉइस चान्सलर प्रोफेसर एमएलबी भट्ट व विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय मौजूद रहे। वहीं कार्यक्रम में ट्रॉमा सर्जरी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख संदीप तिवारी ने वार्षिक प्रगति रिपोर्ट पेश की। कार्यक्रम के दौरान केजीएमयू के वीसी प्रो. एमएलबी भट्ट ने विभाग की तमाम उपलब्धियों की सराहना की।

इस अवसर पर भारी संख्या में डॉक्टर और अतिथिगण मौजूद रहे। केजीएमयू के वीसी प्रो. एमएलबी भट्ट ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में शुमार केजीएमयू लगातार उपलब्धियां हासिल कर रहा है।

यहां के छात्र पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। यह विभाग टीचिंग, ट्रेनिंग और ट्रीटमेंट इंस्टीट्यूट की तर्ज पर एक विभाग के रूप में काम कर रहा है। केजीएमयू एम्स दिल्ली के बाद देश का ऐसा दूसरा चिकित्सा संस्थान है जहां पर ट्रामा सर्जरी विभाग का विस्तार एक स्वत्रंत विभाग के रूप में किया जा रहा है।

केजीएमयू के वीसी ने बताया कि केजीएमयू हर साल ट्रामा सेंटर-1 में आने वाले मरीजों पर 15 से 20 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। ऐसे में गंभीर मरीजों को इलाज के लिए अलग-अगल विभागों में जाना पड़ता है। ट्रामा सर्जरी विभाग खुलने के बाद गंभीर मरीजों को एक ही जगह सभी प्रकार का इलाज किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इसके आलावा ट्रामा सर्जरी विभाग के शुरू होने से मरीजों को सर्जरी, आर्थोपैडिक्स और न्यूरोसर्जरी विशेषज्ञों की सुविधा एक छत के नीचे मिल रही है।साथ ही विभाग में कार्डियोथोरसिक और प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञों की ऑनकाल सुविधा भी मिल रही है।

वर्तमान समय में ट्रामा सेन्टर-1 में 270 बेड मौजूद हैं। क्योंकि प्रदेश का अकेला ट्रामा सेंटर होने के कारण यहां मीन बेड वकैंसी टाइम तीन मिनट से भी कम है यानी ट्रॉमा सेंटर में एक बेड के खाली होते ही तीन मिनट के अंदर दूसरा मरीज इलाज के लिए भर्ती हो जाता है।

ऐसे में ट्रॉमा-1 में 350 बेड और ट्रॉमा-2 में 200 बेडों का विस्तार हुआ है। अपने कॉलेज की उपलब्धियां सुनकर वहां मौजूद ट्रेनी डॉक्टर भी गदगद हो रहे थे। कार्यक्रम के दौरान भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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