21वीं सदी में ढिबरी युग में जी रहे कई गांवो के लोग
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गांव के तमाम नागरिकों का छलका दर्द
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कहा बिजली के बल्ब के प्रकाश के इंतजार में पथरा गयी आंखे
अंबेडकरनगर। कहा तो तय था चरागा हर घर के लिए आज मयस्सर नहीं है चिराग शहर के लिए। किसी नामवर शायर द्वारा कही गयी ये पक्तियां आज बिजली महकमें की हकीकत बया कर रही हैं। जहां एक तरफ सरकार प्रत्येक घर को विद्युत (Electricity) के प्रकाश से रोशन करने का तथा कथित दम्भ भर रही है। वहीं कुछ ऐसे भी गांव है जहां आजादी के सात दशक बाद भी बिजली का प्रकाश मयस्सर नहीं हो सका है।
