Tevar Times
Online Hindi News Portal

21वीं सदी में ढिबरी युग में जी रहे कई गांवो के लोग

0
  • गांव के तमाम नागरिकों का छलका दर्द

  • कहा बिजली के बल्ब के प्रकाश के इंतजार में पथरा गयी आंखे

अंबेडकरनगर। कहा तो तय था चरागा हर घर के लिए आज मयस्सर नहीं है चिराग शहर के लिए। किसी नामवर शायर द्वारा कही गयी ये पक्तियां आज बिजली महकमें की हकीकत बया कर रही हैं। जहां एक तरफ सरकार प्रत्येक घर को विद्युत (Electricity) के प्रकाश से रोशन करने का तथा कथित दम्भ भर रही है। वहीं कुछ ऐसे भी गांव है जहां आजादी के सात दशक बाद भी बिजली का प्रकाश मयस्सर नहीं हो सका है।

In 21 century many villages are waiting for electricity at this time
In 21 century many villages are waiting for electricity at this time

महरूआ थाना क्षेत्र के उसरहा, बगियां गांव जिले के दो ऐसे गांव है जहां आज भी विद्युतीकरण नहीं हो सका। यहां के नागरिक आज भी ढिबरी युग में जी रहे हैं। यहां सरकार द्वारा चलायी जा रही प्रकाश की योजनाएं बिल्कुल निरर्थक साबित हो रही है। जिसे लेकर गांव के नागरिकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

लोगों का कहना है कि सरकार सिर्फ दावे कर रही है और उसे हकीकत के धरातल पर उतारने में कोताही कर रही है। बगिया गांव के मुन्ना का कहना है कि आजादी मिले सात दशक से ज्यादा का समय बीतने को है अभी उनके गांव के लोग बिजली के बल्ब के प्रकाश का एहसास नहीं कर सके है।

इस सम्बन्ध में तमाम बार लिखा पढी भी हुई। बिजली विभाग के अधिकारी सत्यापन करने भी आये और चले गये सिर्फ आश्वासनों के सहारे बिजली के बल्ब के प्रकाश की कल्पना लोग करते रहे। इसके अलावा गया प्रकाश का कहना है कि सरकारे सिर्फ वादे करती है उसे पूरा करने की तरफ कभी ध्यान नहीं देती।

भगवान दीन सरकार की नीतियों से अत्यन्त दुखी है। उनका कहना है कि तमाम नेता खुद आलीशान मकानों में रह कर बिजली से संचालित तमाम उपकरणों का लाभ ले रहे है और उन्हें वोट देकर सत्ता तक पहुचाने वाली जनता ढिबरी युग में जी रही है इससे बडी बिडम्बना और कुछ हो ही नहीं सकती।

राम ललन यादव का कहना है कि यहां बिजली सपना हो गयी है। खास तौर से जब बिभिन्न प्रकार की मीडिया पूरी तरह से सक्रिय है ऐसे में गांव की जनता न तो टेलीबीजन के जरिए देश विदेश की गतिविधियों से अवगत हो पा रही है और न ही उनके मोबाइल ही चार्ज हो पा रहे है। सारी भागदौड निरर्थक साबित हुई है।

गांव के ही रंजय यादव भी स्थानीय जन प्रतिनिधयों से लेकर सरकार के शीर्ष पर बैठे लोगों की नीतियों से अत्यन्त खफा है। उनका कहना है कि वर्तमान समय में जब दुनिया 21वीं सदी में पहुच चुकी है और उसके दो दशक बीत चुके है ऐसे में उनका गांव सोलहवी सताव्दी में जीने को विवश है। आखिर इस गांव में बिजली का बल्ब कब प्रकाशमान होगा इसे लेकर संसय कायम है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More