Tevar Times
Online Hindi News Portal

हज सब्सिडी खत्म करने का ऐतिहासिक फैसला

0

तारकेश्वर मिश्र

अदालत के आदेश के मुताबिक केंद्र सरकार ने हज यात्रा पर मिलने वाली रियायत को खत्म करके ऐतिहासिक कदम (Historical decision) उठाया है। वैसे खुद मुस्लिम धार्मिक संस्थाएं भी इस पवित्र यात्रा को अपनी ईमान की कमाई से ही करने में यकीन रखती हैं।

Historical decision to end Haj subsidy
Historical decision to end Haj subsidy

लिहाजा मुस्लिम धर्मावलंबियों ने इस फैसले पर खुशी ही जाहिर की है। इस साल हज यात्रा पर जाने वाले लगभग दो लाख यात्रियों को रियायत अब नहीं मिलेगी। केंद्र सरकार ने इस सब्सिडी को बंद करते हुए कहा है कि वह मुस्लिम समुदाय के लोगों को बिना तुष्टीकरण के सशक्त बनाना चाहती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने के बाद हज सबसिडी खत्म करने का जो सिलसिला शुरू किया था, अब उस पर पूरी तरह ढक्कन लगा दिया गया है। मोदी सरकार ने हज के लिए प्रस्तावित सबसिडी बिलकुल ही खत्म करने का फैसला लिया है।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का स्पष्टीकरण है कि हज सबसिडी से मुसलमानों को फायदा होने के बजाय कुछ बिचौलिया एजेंसियों की तिजौरियां भरी जा रही थीं, लिहाजा यह फैसला लेना पड़ा। अलबत्ता सरकार गरीब हाजियों की आर्थिक मदद करने पर जरूर कुछ विचार करेगी।

इस तरह हज सबसिडी खत्म होने से भारत सरकार की 700 करोड़ रुपए से ज्यादा की बचत हो सकती है। साथ ही हाजी मुसलमान ‘खैरात’ की लानत से बच सकेंगे, क्योंकि कुरान में लिखा है कि जो समर्थ हैं, वही हज पर जाएं। हज करने के लिए किसी भी तरह की ‘खैरात’ हराम है। बेशक सबसिडी भी ‘खैरात’ ही है।

मोदी सरकार ने अपनी प्राथमिकता तय की है कि सबसिडी की राशि को मुस्लिमों के विकास, कल्याण और खासकर मुस्लिम बच्चियों की पढ़ाई पर खर्च किया जाएगा। सच्चर आयोग की रपट के मुताबिक, करीब 90 फीसदी मुस्लिम बच्चियां अपनी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर पाती हैं और स्कूल छोड़ने को विवश होती हैं।

करीब 60 फीसदी मुस्लिम महिलाएं शिक्षा से ही वंचित हैं। मात्र 10 फीसदी औरतें ही उच्च शिक्षा ग्रहण कर पाती हैं। औसतन 43 फीसदी मुसलमान निरक्षर हैं। यह भी आकलन सामने आया है कि अभी तक हज सबसिडी के नाम पर जो 3000 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, उनसे 151 स्कूल बनाए जा सकते थे। बहरहाल इस मुद्दे को हिंदू-मुसलमान के चश्मे से न देखा जाए।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More