संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा से खेल क्यों ?
प्रभुनाथ शुक्ल
देश की सर्वोच्च अदालत इन दिनों सुर्खि़यों में है। पिछले दिनों चार न्यायाधीशों ने मीडिया में अपनी बात क्या रखी भूचाल गया। संवैधानिक संस्थाओं (Constitutional Institutions) की नींव हिलने लगी। राजनीति के बयानवीर खुल कर न्यायाधीशों के समर्थन और सरकार के विरोध में खड़े हो गए हैं। पूरा देश विचारधाराओं के दो सिरों दक्षिणपंथ और वामपंथ में विभाजित हो गया। सोशलमीडिया पर शीतयुद्ध छिड़ गया है।
