Tevar Times
Online Hindi News Portal

मोदी सरकार में संवैधानिक संस्थाओं के औचित्य पर उठा सवाल : संजय सिंह

0

लखनऊ। आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) का कहना है कि केन्द्र की मोदी सरकार के कार्यकाल में संवैधानिक संस्थाओं के औचित्य पर सवाल उठने लगे हैं। हर जगह इंसाफ का गला दबाने की कोशिश की जा रही है। अभी हाल ही में चार सर्वोच्च न्यायाधीशों को मीडिया के सामने आकर कहना पड़ रहा है कि लोकतंत्र खतरे में है।

Question about the justification of constitutional institutions in Modi government: Sanjay Singh
Question about the justification of constitutional institutions in Modi government: Sanjay Singh

शनिवार को वीवीआईपी गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा आप के बीस विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले पर सवाल उठाए और उम्मीद जतायी कि सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई में पार्टी को इंसाफ मिलेगा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को अदालत के इंसाफ पर पूरा भरोसा है।

उन्होंने चुनाव आयुक्त ए.के. ज्योति पर वार करते हुए कहा कि उनका रिटायरमेण्ट तीन दिन बाद होने वाला है, लेकिन जाते-जाते वह भाजपा के एजेण्ट के तौर पर यह असंवैधानिक फैसला कर गए। संजय सिंह (Sanjay Singh) ने आरोप लगाया कि चुनाव आयुक्त ए.के.ज्योति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपने पुराने रिश्तों का ख्याल रखा। कहा कि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो ज्योति उनके मुख्य सचिव थे।

श्री सिंह ने आप के संसदीय सचिवों की नियुक्ति दिखाते हुए कहा कि इसमें साफ लिखा है कि किसी भी प्रकार से इन्हें सरकारी सुविधा सुपलब्ध नहीं होगी। संयज ने कहा कि जब इन विधायकों को बतौर संसदीय सचिव बनाए जाने पर कोई सुविधा दी ही नहीं गयी तो फिर यह लाभ का पद कैसे हो गया?

उन्होंने कहा कि आप ने ही संसदीय सचिव नहीं बनाए हैं। पहले भी संसदीय सचिवों के अनेक मामले हैं। वर्ष 2006 में दिल्ली में ही शीला दीक्षित की सरकार के कार्यकाल में 19 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया और जब उनके लाभ के पद की बात उठी तो उन्होंने इस मामले में पूर्व से लागू होने वाले फैसले के तौर पर राष्ट्रपति से मंजूरी ले ली।

झारखण्ड और छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिव बनाए गए, उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया और जब सवाल उठा तो पूर्व से प्रभावी कानून बनाकर बाधा दूर कर ली गयी। हरियाणा में चार विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया।

मामला अदालत गया तो उनकी बतौर संसदीय सचिव नियुक्त रद्द हुई मगर बतौर विधायक सदस्यता नहीं गयी। ऐसा ही पश्चिम बंगाल और पंजाब में भी हुआ। लेकिन दिल्ली में चुनाव आयोग ने एकतरफ कार्रवाई करते हुए बगैर इन विधायकों का पक्ष सुने हुए उनकी सदस्यता रद्द कर दी, इससे आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा हो गया है।

यह भी पढ़े:- मोदी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आन्दोलन करेगी रालोद : डॉ0 अहमद

दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी द्वारा मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से इस्तीफा मांगे जाने के सवाल पर संजय सिंह ने कहा कि उन्हें सबसे पहले इस्तीफा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांगना चाहिए, क्योंकि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो वहां उन्होंने भी अपने विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। हालांकि आप नेता कुमार विश्वास द्वारा आयोग के फैसले को सही ठहराने पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिसा नहीं दी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More