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150 वर्ष पुराने चर्च की सौदेबाजी के गर्भ में छिपे हैं कई राज

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फतेहपुर। शहर की नामचीन ऐतिहासिक इमारतों पर भूमाफिया का खेल आखिर परवान चढ़ गया। लाख प्रयासों और प्रशासन को जानकारी देने के बाद भी चर्च और उसकी जमीन बिक्री से नहीं बच सकी। रजिस्ट्री विभाग की मिलीभगत से भूमाफिया ने एक सम्बद्ध व्यक्ति को बतौर अधिकृत दर्शाते हुए उससे चर्च (Church) को ही खरीद डाला।

150 years old church hiding is concealed in the womb of many secrets
150 years old church hiding is concealed in the womb of many secrets

गौरतलब है कि शहर के देवीगंज स्थित लगभग 150 वर्ष पुराना ऐतिहासिक महत्व का प्रेस बिटीरियन चर्च है, जो इसाई समुदाय का प्रमुख धार्मिक स्थल है। चर्च के साथ ही लगभग 12 बीघा बेशकीमती जमीन चर्च परिसर के रूप में मजबूत चारदीवारी से सुरक्षित है।

चर्च और परिसर मौजूदा समय में पादरी साहब बहादुर के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। इस संस्था का रजिस्ट्रेशन 1947 में हुआ था और तब से बराबर संस्था का नवीनीकरण हो रहा है और वर्तमान नवीनीकरण 2018 तक विधिमान्य है।

चर्च की लगभग 60 करोड की जमीन पर शहर के भूमाफिया की नीयत खराब हो गयी और उसने विलियम नामक किसी बाहरी व्यक्ति जिसका इस चर्च, चर्च के पादरी या चर्च की संचालनकर्ता संस्था से दूर-दूर तक कोई वास्ता नही है को खड़ाकर चर्च और उसकी भूमि की रजिस्ट्री करा ली।

मामले की जानकारी मिलते ही इसाई समुदाय में हड़कम्प मच गया और उन्होने जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देते हुए चर्च को भूमाफिया से मुक्त कराने की गुहार लगाई है।

चर्च की सोसायटी के सचिव जॉली गिडियन दत्ता और कोषाध्यक्ष विजय लाल के अनुसार चर्च की जमीन को बेंचने की कोशिशं की। जानकारी उन्होने पहले ही प्रशासन और उपनिबंधक को लिखित रूप में दी थी। इसके बावजूद भूमाफिया के पैसे के आगे अवैध तरीके से अनटाइटिल्ड परसन से चर्च की बिक्री रजिस्टर्ड कर दी गयी।

उन्होने बताया कि जिस फर्जी व्यक्ति जोसेफ विलियम निवासी अमलोहा फतेहगढ़ ने फर्जी वारिस बनकर चर्च की जमीन की भूमाफिया को रजिस्ट्री की है, उसके विरूद्ध झांसी में भी चर्च की जमीन को जालसाजी करके बिक्री करने का मामला दर्ज है और वह वांछित है जो कभी भी देश छोड़कर विदेश भाग जाने की फिराक में है।

 

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