Tevar Times
Online Hindi News Portal

अधर में लटके डीआरडीए कर्मी लामबंद, आन्दोलन की बनी रणनीति

0

लखनऊ। विनियमितीकरण के नाम पर छल का शिकार हुए डीआरडीए कर्मी (DRDA Workers) अब आन्दोलन की ओर अग्रसर है। कर्मियों ने अपनी मांगों के निस्तारण के लिए शासन एवं आयुक्त को दो सप्ताह का समय देते हुए निर्णय लिया है कि अगर समस्याओं का समाधान नहीं होता तो पहले काला फीता बॉधकर उसके बाद रैली निकालकर विधानभवन का घेराव किया जाएगा।

Demanded DRDA workers mobilize
Demanded DRDA workers mobilize

बता दें कि सन् 1980 में जिला ग्राम्य विकास अभिकरण का गठन हुआ था। लम्बे संघर्ष के बाद डीआरडीए कार्मिकों का शासनादेश संख्या डी 383/38-2-2016-2 दिनांक 18 जुलाई 16 को ग्राम्य विकास विभाग में संविलियन किया गया। लेकिन दुर्भाग्य देखिये कि विलय से लेकर अब तक इन कार्मिकों का न तो वेतन हेड बन पाया और न ही उनकी पूर्व सेवा का लाभ उन्हें दिया जा रहा है।

ऐसे में ग्राम्य विकास विभाग में संविलियन हुए 10 से लेकर 20 वर्ष पुराने कार्मिकों की नौकरी फिलहाल अप्रत्यक्ष रूप से दो वर्ष की मानी जा रही है। इसके विरोध में उ.प्र. डीआरडीए इम्पलाइज यूनियन ने राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री शिवबरन सिंह यादव की उपस्थिति में आन्दोलन का निर्णय लिया है।

उन्होंने अपनी मांगों के निस्तारण के लिए शासन एवं आयुक्त को दो सप्ताह का समय देते हुए निर्णय लिया है कि अगर समस्याओं का समाधान नहीं होता तो पहले काला फीता बॉधकर उसके बाद रैली निकालकर विधानभवन का घेराव किया जाएगा।

यूनियन के प्रान्तीय अध्यक्ष अमोद प्रताप सिह भदौरिया ने कहा कि यूनियन के लम्बे संघर्ष के बाद उन्हें ग्राम्य विकास विभाग में विलय तो कर लिया गया लेकिन राज्य कर्मचारियों की भॉति उन्हें कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश के शासनादेश संख्या यूओ-360/38-6-63/ग्रा0वि0-6दिनांक 29 अक्टूबर 1983 में स्पष्ट कहा गया है कि जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के सभी कार्मिकों को राज्य कर्मचारियों की भाति सुविधाए दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि संविलियन किये जाने के बाद अभिकरण की कर्मियों की सेंवायें नियुक्ति तिथि के स्थान पर शासनादेश जारी करने की तिथि से मानते हुए पूर्व की देय सभी सुविधाएं तथा ग्रेच्युटी/सेवा निवृत्ति पर नकदीकरण, सेवानिवृत्त पश््चात चिकित्सा प्रतिपूर्ति, पेंशन आदि लाभों से वंचित कर बधुआ मजदूरों की श्रेणी में डीआरडीए कार्मिकों को खड़ा कर दिया गया है।

उन्होंने मांग की है कि संविलियन हुए डीआरडीए कार्मिकों का ग्राम्य विकास विभाग में वेतन हेड, पुरानी सेवाओं को जोड़कर पेंशन, गेच्युटी तथा अन्य सभी लाभ दिये जाए। उन्होंने कहा कि अपनी जायज मांगों के लिए अगर राज्य कर्मिकों को न्यायालय की शरण लेनी पड़ रही है तो यह इस बात का घोतक है कि आला अफसर सरकार को भ्रमित किए हुए है।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने कहा है कि संविलियन के नाम पर ऐसी व्यवस्था धोखा है। परिषद डीआरआडीए कर्मचारियों का अहित नही होने देगा उनके संघर्ष में परिषद की पूर्ण भागीदारी होगी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More