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फर्जी रेप केसः हाईकोर्ट ने की आरोपियों की याचिका ख़ारिज

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लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर द्वारा गाजियाबाद की एक महिला पर उन्हें तथा उनके पति आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को फर्जी रेप (Fake Rape Case) का आरोप लगा कर फंसाने के मामले में लखनऊ के थाना गोमतीनगर में दर्ज मुकदमे में आरोपी पूर्व महिला आयोग सदस्य अशोक पाण्डेय, कथित रेप पीड़िता तथा उसके पति द्वारा दायर याचिका आज ख़ारिज कर दिया।

Fake rape case: High court dismisses Petition of ​​accused
Fake rape case: High court dismisses Petition of ​​accused

इन तीनों के अधिवक्ताओं ने इन पर झूठा मुक़दमा दर्ज किये जाने के आधार पर मुक़दमा ख़ारिज करने और गिरफ़्तारी पर रोक लगाने की प्रार्थना की थी जबकि शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि नूतन की एफआईआर पर विवेचना लगभग पूरी हो गयी है और शीघ्र ही इन तीनों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि सीजेएम कोर्ट ने इन तीनों के खिलाफ अजमानतीय वारंट भी निर्गत कर दिया है।

जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय तथा जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विवेचना के दौरान कार्यवाही करने का पूरा अधिकार मात्र विवेचक को है और उस दौरान कोर्ट द्वारा विवेचक की कार्यवाही का पुनरीक्षण नहीं किया जायेगा। अतः उन्होंने इन तीनों की याचिका में कोई बल नहीं होने के आधार पर इसे ख़ारिज कर दिया।

यह मुक़दमा 22 जून 2015 को दर्ज किया था जिसमे नूतन ने तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति द्वारा महिला आयोग के सदस्यों की सहायता से फर्जी रेप केस में फंसाने के प्रयास का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने 13 जुलाई 2015 को केस में अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी जिसे सीजेएम ने अपने आदेश 22 दिसंबर 2015 द्वारा ख़ारिज करते हुए पुनार्विवेचना के आदेश दिए थे।

अप्रैल 2017 में श्री प्रजापति को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया। शेष अभियुक्तों पर विवेचना जारी है।

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