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कुशीनगर के थाई मंदिर में तथागत बुद्ध के साथ त्रिदेव पूजे जाते

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कुशीनगर। जिले के अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थली कुशीनगर के थाई मंदिर (Thai Temple) में तथागत बुद्ध के साथ त्रिदेव पूजे जाते हैं। अनीश्वरवादी बुद्ध के साथ सनातन धर्म के त्रिदेव की पूजा कहीं और नहीं होती है। यहां दो संस्कृतियों के मेल का अनूठा संगम पिछले 24 सालों से झलकता है।

Thai temple In Kushinagar, Tridev was worshiped with Buddha
Thai temple In Kushinagar, Tridev was worshiped with Buddha

बौद्ध और सनातन संस्कृति के मिलाप के इस अनूठे संगम में वाट थाई मंदिर परिसर में तथागत भगवान बुद्ध के साथ ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियां स्थापित हैं।

इनकी विशेष पूजा का सिलसिला कभी नहीं रुकता और हर रोज दीपक, अगरबत्ती व कैंडिल जलाकर विशेष पूजन-अर्चना की जाती है। थाई राज घराने से संचालित इस वाट थाई मंदिर का कुशीनगर के मंदिरों में खास स्थान है।

प्राकृतिक सौंदर्य को समेटे हुए मंदिर परिसर में 18 सालों से लोगों का निःशुल्क इलाज होता है तथा हर रविवार को 13 सालों से रविवारी स्कूल में 120 गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है।

भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर स्थित थाई मंदिर का नाम वाट थाई कुशीनारा छरर्मराज है। थाई राजघराने ने वर्ष 1994 में कुशीनगर में मंदिर का निर्माण प्रारंभ कराया। थाई एंबेसी से संचालित मंदिर परिसर में बौद्ध और सनातन संस्कृति का बेजोड़ संगम स्थापित है।

मंदिर निर्माण के दौरान परिसर में ब्रह्मा, विष्णु व महेश की प्रतिमा स्थापित कर पूजा पाठ शुरू की गई। इसके बाद 2001 में चौत्य यभगवान बुद्ध के अवशेष रखने का खास मंदिर का निर्माण आरंभ हुआ। इसका लोकार्पण थाई राजकुमारी महाचक्री सिरीन धोर्न के द्वारा किया गया।

मंदिर के इस चौत्य में 1898 में पिपरहवा कपिलवस्तु-सिद्धार्थनगर खुदाई में प्राप्त हुई भगवान बुद्ध की अस्थि रखी गई है। इसे थाईलैंड के राजा ने अंग्रेजों से प्राप्त कर मंदिर परिसर में स्थापित कराया। मंदिर परिसर में थाईलैंड के राजा रामा नवम के सर के बाल भी सुरक्षित रखे गए हैं।

यह बाल राजा के 15 साल की अवस्था में भिक्षु बनने के दौरान का है। राजा द्वारा डिजाइन की गई चौत्य बेहद आकर्षक है। वहीं प्राकृतिक सौंदर्य से हरे भरे मंदिर परिसर में सैकड़ों सिहोर के पौधों से सुसज्जित बोंजाई आकृति में सजाया गया है। इसके अलावा बांस, पीपल, बरगद, नीम, आम समेत विभिन्न फूल पत्तियों से मंदिर को हमेशा सजाया जाता है।

थाई मंदिर परिसर में पिछले 18 सालों से क्षेत्र के गरीब व असहाय लोगों का इलाज होता है। 12 अगस्त 2000 से मंदिर के सामने नवनिर्मित अस्पताल का पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 2 मई 2007 को लोकार्पण किया था।

चार चिकित्सकों समेत 14 कर्मचारियों द्वारा मरीजों की इलाज के साथ देखभाल की जाती है। मंदिर के प्रबंधन से जुड़े अंबिकेश त्रिपाठी बताते हैं कि मंदिर के अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी चलती है।

मंदिर परिसर में प्रत्येक रविवार को तीन घंटे के लिए रविवारी स्कूल चलता है। राजकुमारी ने 2005 में मंदिर परिसर में गरीब बच्चों के लिए संडे क्लास की शुरुआत की थी।

सात शिक्षकों द्वारा प्रत्येक रविवार को सुबह 9 बजे से 12 बजे तक चलने वाले स्पेशल क्लास में कक्षा एक से लेकर आठ तक के 120 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा जा रही है। मंदिर प्रशासन गरीब बच्चों को निःशुल्क पढाई के साथ कापी-किताब, कलम, यूनीफार्म के अलावा लंच की व्यवस्था करता है।

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