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कल से तीन दिनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर रहेंगे ग्रामीण बैंक कर्मी

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लखनऊ। ग्रामीण बैंक कर्मियों (Gramin Bank workers) के राष्ट्रीय स्तर पर बने साझा मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ आर0आर0बी0 यूनियन के आवाह्न पर देश भर के 56 ग्रामीण बैंकों में कार्यरत एक लाख ग्रामीण बैंक कर्मी अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर 26 से 28 मार्च, 2018 तक तीन दिनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर रहेंगे, जिसके कारण आगामी 2 अप्रैल तक लगातार इन बैंकों का सामान्य कामकाज ठप रहेगा।

उक्त आशय की जानकारी स्थानीय ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त अधिकारी एसोएिशन के चेयरमैन राकेश कुमार शुक्ल एवं अध्यक्ष आशुतोष कुमार सिंह ने दी है। यू0एफ0आर0आर0बी0यू0 से जुड़े इन दोनों नेताओं ने बताया कि इस महीने की 24 और 25 मार्च को बैंकों के नियमित अवकाश हैं।

Gramin Bank workers will be on strike nationwide for three days from tomorrow
Gramin Bank workers will be on strike nationwide for three days from tomorrow

जब कि 26 से 28 मार्च की हड़ताल, 29 मार्च को महावीर जयंती, 30 मार्च को गुड फ्राइडे, 31 मार्च को हजरत अली का जन्मदिवस, 01 अप्रैल को रविवार एवं 02 अप्रैल को बैंकों की वार्षिक लेखाबन्दी रहेगी। इस प्रकार इन बैंकों का लगातार 10 दिनों तक कामकाज ठप रहेगा।

अपनी मांगों पर विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए दोनों नेताओं ने बताया कि आठ सूत्रीय मांगों को लेकर अनेक आन्दोलनात्मक कार्यक्रम किये गये। इसी 20 मार्च को हजारों कर्मचारियों ने संसद मार्च का कार्यक्रम नई दिल्ली में किया।

कर्मचारी नेता, सांसद डी0 राजा ने नेतृत्व में माननीय वित्त मंत्री अरूण जेटली से भी उसी दिन मिले। केन्द्रीय श्रम आयुक्त के समक्ष भी मामला ले जाया गया, लेकिन सरकार के कान में जूँ तक नहीं रेंगी, जिसके कारण हड़ताल के लिए विवश होना पड़ा।

दोनों नेताओं ने बताया कि उनकी प्रमुख मांग है कि भारत सरकार कर्नाटक एवं राजस्थान उच्च न्यायालयों के निर्णयों का सम्मान करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में दायर एस0एल0पी0 को वापस लेकर देश के ग्रामीण बैंक कर्मचारियों को बैंकिंग उद्योग के समान पेंशन की सुविधा देने का मार्ग प्रशस्त करें।

दूसरी मांग है कि ग्रामीण बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव वापस लिये जायें। बैंकिंग उद्योग में लागू शर्तों के अनुरूप ग्रामीण बैंकों में भी अगस्त, 2014 से अनुकम्पा नियुक्तियां किये जाने के आदेश दिये जायें। कम्प्यूटर इंक्रीमेंट की चौथी, प्रायोजक बैंकों के समान सेवा शर्तें, प्रोन्नति एवं भर्ती नियम बनाये जाने की पांचवी मांग है।

नेताद्वय ने कहा कि दैनिक वेतन भोगी और आकस्मिक कर्मचारियों को न्यूनतम भुगतान सीमा, सुविधाएं व नियमितीकरण किये जाने की छठवीं मांग है। सातवीं मांग है कि ग्रामीण बैंकों को भी भारतीय बैंक संघ का सदस्य बनाकर वार्ताएं की जायें। अन्तिम एवं आठवीं मांग के रूप में ग्रामीण बैंकों के लिए वर्तमान में बने वार्ता मंच यजे0सी0सी0द्ध की संस्तुतियों को लागू करने की बाध्यता हो।

नेताद्वय ने कहा कि इस हड़ताल के बावजूद भी यदि सरकार न चेती तो यू0एफ0 आर0आर0 बी0यू0 हड़ताल के पश्चात् बैठक करेगा तथा अपने आगामी संघष की रणनीति का खुलासा करेगा, जिसके तहत अनिश्चित कालीन हड़ताल भी सम्भव है। तीन दिनों की इस हड़ताल को बैंकिंग उद्योग के सशक्त संगठन यू0एफ0बी0यू0 द्वारा भी समर्थन दिये जाने की घोषणा की गई है।

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