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यूपी में ‘दुधवा बाघ संरक्षण फाउंडेशन’ के गठन का प्रस्ताव मंजूर

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योगी की कैबिनेट ने छह प्रस्तावों पर लगायी अपनी मुहर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रिपरिषद ने मंगलवार को ‘दुधवा बाघ संरक्षण फाउंडेशन’ के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। योगी की कैबिनेट ने इसके अलावा पीलीभीत में बंद पड़ी एक शुगर फैक्ट्री को इंटीग्रेटेड शुगर कॉम्प्लेक्स के निर्माण को भी मंजूरी प्रदान की है। कैबिनेट ने आज कुल छह प्रस्तावों पर अपनी मंजूरी दी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में लिये गये फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने दुधवा बाघ संरक्षण फाउंडेशन, उ.प्र. के गठन का फैसला किया है। यह देश में अपनी तरह की अनूठी पहल है।

बताया कि फाउण्डेशन के लिए कोष की स्थापना विभिन्न स्रोतों से धनराशि प्राप्त कर की जाएगी, जैसे-पर्यटकों का प्रवेश शुल्क, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय एजेन्सियों से प्रोजेक्ट विशेष हेतु सहयोग, किसी व्यक्ति विशेष या विदेशी सरकार या बाहरी संगठन से प्राप्त धन, अनुदान अथवा अन्य सहायता आदि।

सिंह ने बताया कि दुधवा बाघ संरक्षण फाउण्डेशन के प्रबन्ध के दायित्व निर्वहन हेतु प्रभारी मंत्री वन एवं वन्य जीव, उत्तर प्रदेश सरकार की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय गवर्निंग बॉडी का गठन किया जाएगा। फाउण्डेशन के दिन-प्रतिदिन के प्रबन्ध संचालन हेतु 04 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति गठित की जाएगी, जिसके अध्यक्ष दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड निदेशक होंगे।

दुधवा बाघ संरक्षण फाउण्डेशन की स्थापना से दुधवा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ईको टूरिज्म को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके माध्यम से रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त होंगे। स्थानीय अनुसूचित जनजातियों/समूहों को भी रोजगार के माध्यम से लाभान्वित किया जा सकेगा।

श्री सिंह ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने जनपद पीलीभीत की बन्द पड़ी ‘दि किसान कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री लि0 मझोला को इण्टीग्रेटेड शुगर कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित करने हेतु दीर्घकालीन लीज पर निजी निवेशकर्ता को हस्तान्तरित किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत एक ही परिसर में चीनी मिल, को-जेनरेशन प्लाण्ट एवं आसवनी की स्थापना की जाएगी।

उन्होंने बताया कि चीनी मिल को लीज पर दिए जाने के सम्बन्ध में ई-निविदाओं को पारदर्शी एवं प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया द्वारा आमंत्रित किया जाएगा। चीनी मिल के शुरू होने से क्षेत्र के किसानों में समृद्धि आएगी। लगभग 08 हजार किसान लाभान्वित होंगे। क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होने के साथ-साथ प्रदेश के आर्थिक विकास को गति मिलेगी।

प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश होमगार्ड्स सेवा (पंचम संशोधन) नियमावली-2018 को मंजूरी प्रदान कर दी है। बता दें कि इसके पूर्व, उ0प्र0 होमगार्ड्स सेवा नियमावली-1982 में प्रथम, द्वितीय एवं चतुर्थ संशोधन क्रमशः 1988, 1996, 2009 एवं 2015 में किए जा चुके हैं।
संशोधित नियमावली के अनुसार नवसृजित ‘संयुक्त महासमादेष्टा’ का तात्पर्य संयुक्त महासमादेष्टा होमगार्ड्स उत्तर प्रदेश होगा।

इसके अलावा, समूह ‘क’ के तहत संयुक्त महासमादेष्टा का 01 पद, उप महासमादेष्टा के 05 पद, मण्डलीय कमाण्डेण्ट के 17 पद एवं ज्येष्ठ स्टाफ अधिकारी का 01 पद होगा। इसी प्रकार, समूह ‘ख’ के तहत जिला कमाण्डेण्ट के 74 पद, नगर कमाण्डेण्ट के 02 पद, कनिष्ठ स्टाफ अधिकारी के 02 पद एवं कमाण्डेण्ट प्रभागीय प्रशिक्षण केन्द्र 11 होंगे।

प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने जनपद बलिया के कलेक्ट्रेट परिसर में 1000 व्यक्तियों की क्षमता के बहुउद्देशीय सभागार के निर्माण से सम्बन्धित पुनः पुनरीक्षित लागत 595.54 लाख रुपए के अन्तर्गत प्रायोजना में प्रस्तावित उच्च विशिष्टयों जैसे-फॉल्स सीलिंग तथा वॉल पैनेलिंग आदि के सम्बन्ध में अनुमोदन प्रदान कर दिया है।

इसी तरह मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड एवं सहयोगी वितरण कम्पनियों द्वारा केन्द्रित विद्युत संस्थान से विद्युत क्रय एवं कोल इण्डिया व सहयोगी कम्पनियों से कोयला क्रय के भुगतान के सम्बन्ध में अक्टूबर, 2001 से 15 वर्षों के लिए हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय अनुबन्ध को 01 नवम्बर, 2016 से आगामी 15 वर्षों के लिए विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अनुमोदन के अनुरूप विस्तारित करते हुए निष्पादित करने सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने ऊर्जा विभाग के अधीन विभिन्न निगमों में निदेशक के विभिन्न रिक्त पद पर पूर्व से चयनित अभ्यर्थियों को समकक्ष पद पर आवेदन करने से प्रतिबन्धित किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

इसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में बोर्ड स्तर पर नियुक्त पूर्णकालिक निदेशक को अन्य किसी उपक्रम में बोर्ड स्तर के पद के लिए दिए गए आवेदन पर 02 वर्ष की अवधि तक विचार नहीं किया जाएगा। अगर उसी कम्पनी में उच्चतर पद पर रिक्ति होती है, तो यह प्रतिबन्ध लागू नहीं होगा।

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