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प्रकाशकों के दबाव में किताबों के साथ बेची जा रही गाइड

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आजमगढ़। माध्यमिक शिक्षा परिषद्, उ.प्र. का नया शैक्षणिक सत्र प्रारम्भ हो गया है। इस सत्र में 9वीं और 11वीं कक्षा में एनसीआरटी के पैटर्न पर पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया है। एनसीआरटी की किताबें बाजार में आ गयी हैं। लेकिन पुस्तक प्रकाशकों के दबाव में इन पुस्तकों के साथ गाइड की बुक खरीदने के लिए पुस्तक विक्रेताओं को मजबूर किया जा रहा है।
शासन ने छात्रों को सस्ते दर पर किताबों को उपलब्ध कराने के लिए कुछ प्रकाशकों को अधिकृत किया था। इसके लिए विधिवत टेन्डर भी निकाला गया था। प्रकाशन के लिए होड़ में बहुत ही निचले दर पर टेण्डर लिया गया है। जिससे प्रकाशकों को एनसीआरटी की पुस्तकों को बेचने में बहुत ही कम मुनाफा मिल पा रहा है। इस कमी की भरपाई के लिए प्रकाशक पुस्तकों के साथ गाइड लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
उ0प्र0 से प्रकाशित होने वाली कक्षा 9 की गणित की पुस्तक का मूल्य 60रू है और इसके साथ गाइड का मूल्य 160रू है और विज्ञान की पुस्तक का मूल्य 57रू है और इसके साथ गाइड का मूल्य 230रू है। जबकि एनसीआरटी, दिल्ली से प्रकाशित विज्ञान और गणित की पुस्तक के प्रत्येक का मूल्य 135रू है।
बताया जा रहा है कि उ0प्र0 के प्रकाशक एनसीआरटी की पुस्तकों पर 5 प्रतिशत का कमीशन दे रहे हैं। यह कमीशन बड़े विक्रेताओं द्वारा हड़प लिया जा रहा है। जनपद के अन्य पुस्तक विक्रेताओं को कोई भी कमीशन नहीं प्राप्त हो रहा है।
जनपद के एक थोक पुस्तक विक्रेता ने यह पूछे जाने पर कि एनसीआरटी की पुस्तक बेचने पर जब विक्रेता को कुछ नहीं प्राप्त हो रहा है तो इसे छोटे दुकानदार क्यों बेचे। उनका जवाब था कि ’’गाइड में तो मिल रहा है।
छोटे विक्रेता मजबूरी में एनसीआरटी की पुस्तकों को बेच रहे है जिससे उनकी दुकानों के अन्य सामान बिकता रहे। इन दुकानदारों से आए दिन छात्रों और अभिभावकों से झड़प हो रही है। प्रकाशकों के दबाव के चलते छोटे पुस्तक बिक्रेताओं और छात्रों का शोषण हो रहा है।
योगी सरकार ने प्रदेश में छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा और सस्ती किताबें मुहैया कराने की योजना बनाई थी। छात्र भी सोच रहे थे कि अब उन्हें महंगी किताबें नहीं खरीदनी होंगी लेकिन जब किताब खरीदने की बारी आई तो उन्हें जोरदार झटका लगा। सरकार डाल-डाल तो प्रकाशक पात-पात पहुँच जा रहे हैं। सरकार और प्रकाशकों के बीच अभिभावक और छात्र परेशान हैं। सभी सरकार की नीतियों की निन्दा कर रहे हैं।

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