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यूपीकोका समेत तीन विधेयक राष्ट्रपति के विचारार्थ किया आरक्षित

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने राज्य विधान मण्डल से पारित विधेयकों उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2018, उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2017 एवं अन्तर्राज्यिक प्रवासी कर्मकार (नियोजन का विनियमन और सेवा शर्त) (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2018 को राष्ट्रपति के विचारार्थ आरक्षित कर दिया है। राज्यपाल ने राज्य सरकार के अनुरोध पर तीनों विधेयकों को राष्ट्रपति के विचारार्थ आरक्षित किया है।
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2018 के माध्यम से उत्तर प्रदेश राज्य में औद्योगिकीकरण और कृषि विकास के लिए भूमि की उपलब्धता को सुगम बनाने के उद्देश्य से एवं कृषि जोतों के उत्तराधिकार से संबंधित विषयों में परिवर्तन के लिए पूर्व में स्थापित उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 में संशोधन किया गया है।
उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2017 के द्वारा प्रदेश में संगठित अपराध के खतरे को नियंत्रित करने हेतु सम्पत्ति की कुर्की, रिमाण्ड की प्रक्रिया, नियंत्रित परिदान, अपराध नियंत्रण संबंधी प्रक्रिया, त्वरित विचारण एवं न्याय हेतु विशेष न्यायालयों और विशेष अभियोजकों और संगठित अपराध के खतरे को नियंत्रित करने की अनुसंधान संबंध प्रक्रियाओं सहित कड़े और निवारक उपबंधों के साथ विशेष विधि का अधिनियमन किया गया है।
अन्तर्राज्यिक प्रवासी कर्मकार (नियोजन का विनियमन और सेवा शर्त) (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2018 के माध्यम से पूर्व में अधिनियमित अन्तर्राज्यिक प्रवासी कर्मकार (नियोजन का विनियमन और सेवा शर्त) विधेयक 2017 के प्राविधानों में संशोधन किया गया है।
पूर्व में विधान मण्डल से पारित विधेयक को राज्यपाल ने राष्ट्रपति को संदर्भित कर दिया था। भारत सरकार ने उक्त विधेयक में कतिपय संशोधन करने की संस्तुति की थी। पूर्व में पारित विधेयक को वापस लेकर अन्तर्राज्यिक प्रवासी कर्मकार (नियोजन का विनियमन और सेवा शर्त) (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2018 पारित हुआ है।
राष्ट्रपति के विचारार्थ आरक्षित यह तीनों विधेयक पूर्व से स्थापित केन्द्रीय अधिनियमों में अभिभावी प्रभाव रखते हैं, अतः विधेयक के प्राविधान संविधान के अनुच्छेद 254 को आकृष्ट करते हैं, अतः विधेयकों पर राष्ट्रपति की अनुमति आवश्यक है।

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