एटीम खाली, रिजर्व बैंक से 250 करोड़ रुपये की डिमांड
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में लग्न, गन्ना मूल्य, बच्चों की पढ़ाई सहित कई तरह की जरूरतें इन दिनों परवान पर हैं। लेकिन एटीएम ही नहीं जिले की अधिकांश बैंक शाखाओं में कैश की कमी पड़ गई है। जिसको लेकर कैस के लिए हाहाकार मचा हुआ है।
जनपद में एसबीआई, पीएनबी, पूर्वांचल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया सहित विभिन्न बैंकों की 184 शाखाएं हैं। जिनमें से ज्यादातर बैंकों की शाखाओं में जरुरत के हिसाब से कैश नहीं मिल रहा है। सबसे दयनीय हालत पूर्वांचल बैंक की है। जिसकी 51 शाखाओं में जरूरत के हिसाब से 50 फीसदी कम कैश मिल रहा है।
कमोबेश यही स्थिति सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और पीएनबी की शाखाओं में भी है। एसबीआई ने कैश की कमी न हो, इसलिए रिजर्व बैंक से कैश लाने के लिए सुरक्षा व्यवस्था की मांग कर दी है। वहीं अग्रणी बैंक के जिला प्रबंधक ने रुपये की कमी दूर करने के लिए रिजर्व बैंक से 250 करोड़ रुपये की डिमांड की है।
कैश की इस कमी के चलते किसान, छात्र, अभिभावकों के साथ-साथ वे लोग जिनके घरों में शादियां पड़ी हैं या शादी की तारीख नजदीक आ चुकी है। उनकी हालत खराब हैकि कैसे बेटे व बेटियों की शादी निपटेगी।
इन दिनों लग्न का समय है। लोग अपने बेटे-बेटियों की शादी का सामान खरीदने के लिए परेशान हैं।

क्योंकि पडरौना नगर में जहां विभिन्न बैंकों के करीब 35 एटीएम लगे हैं, उनमें एक-दो बैंकों के एटीएम को छोड़ दिया जाए तो अन्य में रुपये नहीं मिल रहे हैं। किसी एटीएम में रुपये नहीं पड़ रहे हैं तो कोई खराबी का कारण बता रहा है। किसान अपने खाते में आए गन्ना मूल्य भुगतान के लिए बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं।
इसी तरह विद्यालयों में शैक्षिक सत्र शुरू हो जाने के कारण अभिभावक अपने बच्चों के नामांकन व कापी-किताबें और ड्रेस खरीदने को लेकर चिंतित हैं। क्योंकि एटीएम के साथ-साथ बैंकों में आवश्यकता के अनुरूप रुपये नहीं उपलब्ध हो पा रहे हैं। वैसे जिले भर में विभिन्न बैंकों की 185 शाखाएं संचालित हैं। इनमें प्रमुख रूप से पूर्वांचल बैंक की 76 शाखाएं हैं।
जिसमें से 56 क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय पडरौना तथा शेष गोरखपुर के रीजनल कार्यालय के अधीन संचालित होती हैं। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की 28, पीएनबी की 25, एसबीआई की 20, इलाहाबाद बैंक की सात, बैंक ऑफ बड़ौदा की पांच, एचडीएफसी बैंक की पांच, आईसीआईसीआई की दो, कारपोरेशन बैंक की दो, कनाडा बैंक की दो, इंडियन बैंक की एक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की एक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की पांच, बैंक ऑफ इंडिया की एक, आंद्रा बैंक की एक, आईडीबीआई बैंक की एक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र की एक, पंजाब एंड सिंध बैंक की एक, सिंडिकेट बैंक की एक, इंडियन ओवरसीज बैंक की एक, ऐक्सिस बैंक की एक, कोटक महिंद्रा की एक और बंधन बैंक की एक शाखा शामिल है।
यद्यपि भारत सरकार कैशलेस सिस्टम को बढ़ावा दे रही है। लेकिन कैशलेस सिस्टम का एक प्रमुख माध्यम एटीएम सरकार की इस मंशा पर पानी फेरता दिख रहा है। क्योंकि 24 घंटे कैश देने का दावा करने वाले एटीएम एनीटाइम टेलर मशीन, सिस्टम का शटर ज्यादातर समय बंद रहता है। अगर खुलता भी है तो अधिकतर एटीएम कैशलेस रहते हैं।
चंद गिने-चुने एटीएम के बाहर 50 से 100 ग्राहकों की लंबी लाइन लगी रहती है। पडरौना शहर में जहां 35 एटीएम हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों में विभिन्न बैंकों के 214 एटीएम लगे हैं। गुरुवार को पडरौना के एचडीएफसी, एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा ,पंजाब नेशनल बैंक सहित कई बैंकों की शाखाओं के आगे ग्राहकों की लंबी लाइन लगी रही, वहीं अन्य एटीएम यांत्रिक खराबी या कैश के अभाव में बंद थे।
अग्रणी बैंक के जिला प्रबंधक एचएल कुशवाहा का कहना है कि एटीएम के साथ-साथ बैंकों में भी कैश की कमी हो गई है। क्योंकि इन दिनों लग्न के साथ-साथ बच्चों के एडमिशन का समय है। सेंट्रल बैंक की 28 ब्रांचों में से 15-16 ऐसी शाखाओं में कैश की कमी हो जा रही है। जो ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। कैश की कमी दूर करने के लिए रिजर्व बैंक से 250 करोड़ रुपये की डिमांड की गई है।
एसबीआई की पडरौना स्थित मुख्य शाखा के डिप्टी मैनेजर अखिलेश्वर सिंह का कहना है कि अन्य बैंकों में कैश की कमी है, लेकिन एसबीआई चेस्ट ब्रांच होने के कारण अभी दिक्कत नहीं है। फिर भी स्थिति को देखते हुए रिजर्व बैंक से कैश मंगाने के लिए एसपी से मिलकर सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की जाएगी।
पीएनबी के डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेटर आरपी सिंह का कहना है कि लग्न का समय होने के चलते कैश की डिमांड ज्यादा बढ़ गई है। इसके अनुरूप कैश उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इसलिए एटीएम के साथ-साथ बैंक में भी कैश की समस्या है। यह समस्या ग्रामीण क्षेत्रों की शाखाओं में अधिक है। क्योंकि वहां नेट बैंकिंग, एटीएम और पीओएस जैसी सुविधाएं नहीं हैं।
पूर्वांचल बैंक की पडरौना शाखा के प्रबंधक एसपी मिश्र का कहना है कि इस बैंक के पास खुद का चेस्ट नहीं है। दूसरे इसमें ज्यादातर किसान ही खाताधारक हैं। जिन्हें इन दिनों अपने गन्ना मूल्य की रकम बैंक से लेनी है। क्षेत्रीय कार्यालय पडरौना के अंतर्गत आने वाली 51 शाखाओं में कैश की कमी के चलते किसानों का भुगतान नहीं हो पा रहा है। लग्न के चलते रुपये की डिमांड भी बढ़ गई है। इस बैंक में जहां भुगतान के लिए प्रतिदिन तीन करोड़ रुपये की जरुरत है। उसके सापेक्ष लगभग डेढ़ करोड़ रुपये ही मिल पा रहे हैं।