आरामतलब जीवन शैली, मोटापा, जंक फूड का सेवन और तनाव के कारण युवाओं में भी ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) के मामले में वृद्धि हो रही है। इसका इलाज नहीं कराने पर दिमागी कोशिकाओं और आवाज को नुकसान हो सकता जिसके परिणामस्वरूप मरीज जीवन भर के लिए विकलांग बन सकता है।
फोर्टिस अस्पताल (नोएडा) में न्यूरोसर्जरी विभाग के अतिरिक्त निदेशक एवं वरिष्ठ न्यूरो एवं स्पाइन सर्जन डॉ. राहुल गुप्ता ने अस्पताल द्वारा आयोजित एक विशेष सत्र में कहा, कुछ समय पहले तक युवाओं में स्ट्रोक के मामले सुनने में नहीं आते थे, लेकिन अब युवाओं में भी ब्रेन स्ट्रोक अपवाद नहीं है।

युवाओं में स्ट्रोक के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण उच्च रक्तचाप, मधुमेह, रक्त शर्करा, उच्च कोलेस्ट्रॉल, शराब, धूम्रपान और मादक पदार्थों की लत के अलावा आरामतलब जीवन शैली, मोटापा, जंक फूड का सेवन और तनाव है। युवा रोगियों में यह अधिक घातक साबित होता है, क्योंकि यह उन्हें जीवन भर के लिए विकलांग बना सकता है।
वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ज्योति बाला शर्मा ने कहा, देश में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के लगभग 15 लाख नए मामले दर्ज किए जाते हैं। स्ट्रोक भारत में समय से पहले मृत्यु और विकलांगता का एक महत्वपूर्ण कारण बनता जा रहा है। दुनिया भर में हर साल स्ट्रोक से 2 करोड़ लोग पीड़ित होते हैं, जिनमें से 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है और अन्य 50 लाख लोग अपाहिज हो जाते हैं।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन (एनसीबीआई) के अनुसार, कोरोनरी धमनी रोग के बाद स्ट्रोक मौत का सबसे आम कारण है। इसके अलावा यह क्रोनिक एडल्ट डिसएबिलिटी का एक आम कारण है। 55 वर्ष की आयु के बाद 5 में से एक महिला को और 6 में से एक पुरुष को स्ट्रोक का खतरा रहता है।
