117वें संविधान संशोधन बिल के निरस्तीकरण को गृह मंत्री से मिली समिति
पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए अध्यादेश लाया गया तो होगा राष्ट्रव्यापी विरोध: समिति
लखनऊ। सर्वजन हिताय संरक्षण समिति ने शुक्रवार को भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह को ज्ञापन देकर मांग की कि पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए 117वें संविधान संशोधन बिल को पूरी तरह निरस्त किया जाये और इसके लिए कोई अध्यादेश जारी न किया जाये।
समिति ने ज्ञापन में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को निष्प्रभावी करने हेतु संविधान में चार बार संशोधन किये जा चुके हैं और पांचवीं बार संविधान संशोधन करने की कोशिशों से देश के चार करोड़ कर्मचारियों, अधिकारियों व शिक्षकों में भारी गुस्सा है।
समिति के मुताबिक, गृह मंत्री ने इन मांगों पर सहमति व्यक्त करते हुए समिति के पदाधिकारियों को आश्वासन दिया है कि वे इस मामले में प्रधानमंत्री से बात करेंगे और उन्हें कर्मचारियों की भावनाओं से अवगत करायेंगे।
शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि ज्ञापन में कहा गया है कि केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने विगत सप्ताह यह बयान दिया है कि पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने हेतु केन्द्र सरकार अध्यादेश लायेगी। पासवान के इस वक्तव्य से देश के 04 करोड़ कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों में भारी असंतोष है।
ध्यान रहे कि सर्वोच्च न्यायालय की 05 सदस्यीय संविधान पीठ ने अक्टूबर 2006 में एम नागराज मामले में दिये गये निर्णय में पदोन्नति में आरक्षण को असंवैधानिक करार देते हुए यह व्यवस्था दी है कि पदोन्नति में आरक्षण देने के पहले संख्यात्मक आंकड़े देकर यह प्रमाणित करना होगा कि जिसकी पदोन्नति की जा रही है।
वह अभी भी सचमुच पिछड़ा हुआ है, उसकी जाति का सेवाओं में समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है और ऐेसी पदोन्नति देने से संविधान की धारा 335 के तहत प्रशासनिक दक्षता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसी आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के मामले में पदोन्नति में आरक्षण देने के आदेशों को असंवैधानिक करार दिया है।
