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गन्ने की सूखी पत्तियों को जलाने का प्रचलन बंद, पेड़ी प्रबन्धन पर होगा काम

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लखनऊ। प्रदेश में गन्ना कृषकां द्वारा गन्ने की कटाई के बाद गन्ने की सूखी पत्तियां को जलाये जाने का प्रचलन व्यवहार में है, जिससे वायु प्रदूषण तो बढ़ता ही है, मिट्टी की उर्वरता पर भी कुप्रभाव पड़ता है।
गन्ना विकास विभाग ने एक नीतिगत निर्णय लेकर गन्ना कृषकों में जागरूकता का एक अभियान शुरू किया है कि गन्ने की सूखी पत्तियों को पेड़ी फसल में दो पक्तियों के बीच ट्रैश मल्ंचिग करने (बिछाने) से न सिर्फ खेत की नमी को देर तक बनाये रखा जा सकता है,
बल्कि कालान्तर में यही सूखी पत्तियां खाद के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं तथा खर पतवार भी नष्ट हो जाते हैं। ट्रैश मल्ंचिग के प्रयोग से मृदा में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ती है जो मृदा के अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभकारी है।
प्रदेश के चीनी एवं गन्ना राज्य मंत्री सुरेश राणा ने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2018-19 के लिए विभाग द्वारा ट्रैश मल्ंचिग के लक्ष्य निर्धारित कर दिये गये हैं।
जिसके अन्तर्गत परिक्षेत्र सहारनपुर हेतु 43,063 हेक्टेयर, परिक्षेत्र मेरठ हेतु 44,508 हेक्टेयर, परिक्षेत्र मुरादाबाद हेतु 65,816 हेक्टेयर, परिक्षेत्र बरेली हेतु 55,055 हेक्टेयर, परिक्षेत्र लखनऊ हेतु 91,651 हेक्टेयर, परिक्षेत्र फैजाबाद हेतु 14,253 हेक्टेयर, परिक्षेत्र देवीपाटन हेतु 37,501 हेक्टेयर, परिक्षेत्र गोरखपुर हेतु 10,755 हेक्टेयर तथा परिक्षेत्र देवरिया हेतु 17,170 हेक्टेयर, कुल 37,9,772 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय आर. भूसरेड्डी ने वर्ष 2018-19 के लिए विभाग द्वारा ट्रैश मल्ंचिग के निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति हेतु जिला गन्ना अधिकारी एवं परिक्षेत्रीय उप गन्ना आयुक्तों को निर्देशित किया है कि अपने परिक्षेत्र/जनपद में ट्रैश मल्ंचिग को अपनाये जाने के लिए कृषकों का चयन करते हुये निर्धारित लक्ष्यों की शत-प्रतिशत पूर्ति सुनिश्चित करायें।

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