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आदि गंगा गोमती नदी की जल धार में गुप्त रूप से विराजमान 

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  • रुद्रावर्त नामक सिद्धि स्थान का क्षेत्र में एक विशेष महत्व 

मिश्रित/सीतापुर। आशुतोष शिव की तपोस्थली वाले अरण्य क्षेत्र में स्थित 88 हजार ऋिषि मुनियों की पावन तपोभूमि ही नही लोक कल्याण के लिए दधीचि अस्थि दान के रूप में विश्वविख्यात इस अति पुनीत क्षेत्र में वैसे तो अनेक शिव जी के सिध्दि स्थान है लेकिन आदि गंगा गोमती के तट पर सुरम्य वातावरण में नदी की जलधार के अन्दर गुप्त रूप से विराजमान रुद्रावर्त नामक चमत्कारिक सिध्दि  शिव स्थान इस धार्मिक क्षेत्र में अपना एक अलग महत्व रखता है।
ज्ञात हो कि नैमिषारण्य से लगभग चार किम की दूरी पर स्थित अरबापुर ग्राम के समीप कलकल निनाद करती हुई आदि गंगा गोमती की जल धार के अन्दर अति प्रचीन गुप्त रूप से  विराजमान शिव जी का चमत्कारिक स्थान है जहॉ क्षेत्र ही नही अपितु विदेशों से भी शिव भक्त शिव जी का आशिर्वाद प्राप्त करने निरंतर आते रहते है। यह स्थान क्षेत्र में अपने महत्व को लेकर एक अलग पहचान रखता है।

इस सिध्दि स्थान पर साधारण बेल पत्र को डालने से जल धार में बह जाता है। लेकिन शिव भक्तों व्दारा सच्चे मन से ऊँ नमरू शिवाय  शिव अर्पणम्  मंत्र उच्चारण के साथ सच्चे भाव से अगर बेल पत्र इस स्थान पर अर्पण किये जाते है तो वह सीधे जल के अन्दर शिव जी को अर्पण हो जाते है।
इसी तरह अगर जल मे साधारण दूध डाला जाता है तो वह जल मे फैलकर बह जाता है अगर शिव भक्तो व्दारा दूध को सच्चे भाव से अर्पण किया जाता है तो वह सीधे लीक बनकर जल के अन्दर सिव जी को अर्पण हो जाता है इस सिध्दि स्थान पर  सच्चे भाव से शिव भक्तो द्वारा अर्पण किये गये फल जल धार के अन्दर चले जाते है और कुछ समय के उपरान्त प्रसाद के रूप में ऊपर आ जाते है।
जिन्हे शिव भक्त प्रसाद के रूप मे स्वीकार कर शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते है इन्ही चमत्कारिक विशेषताओं के चलते यह अति प्राचीन सिध्दि स्थान इस अरण्य क्षेत्र में एक अलग महत्व रखता है और श्रावण माह ही नही प्रत्येक दिन यहॉ पर शिव भक्तों का मेले जैसा माहौल बना रहता है।

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