केंद्र सरकार के खजाने में बैंकिंग व वित्तीय कर से आए 42 हजार करोड़!
संदीप पौराणिक
भोपाल। एक कहावत है- ’चाकू चाहे तरबूज पर गिरे या तरबूज गिरे चाकू पर, कटना तरबूज को ही है।’ इस समय ठीक यही हाल बैंकिंग सेवा का लाभ लेने वाले ग्राहकों का है। बैंक की आप कोई भी सेवा लें, कर आपको देना ही होगा और इससे सरकार का खजाना भरेगा।
बीते पांच सालों में बैंकिंग ग्राहक सेवाओं से कर के जरिए सरकार के खजाने में 42 हजार करोड़ से ज्यादा रकम पहुंची है। वहीं बैंकों द्वारा सेवाओं के एवज में ली गई राशि अलग है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बैंक जो भी बैंकिंग व वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराते हैं, उसके एवज में ग्राहक से रकम वसूलते हैं,
इसके अलावा केंद्र सरकार को सेवाकर या जीएसटी से रकम हासिल होती है। बीते पांच वर्षो में ही बैंकों द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं पर लगाए गए कर से सरकार ने 42262़ 11 करोड़ रुपये आर्जित किए हैं। यह खुलासा हुआ है, सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत वित्त मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी से।
मध्यप्रदेश के नीमच जिले के सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने आरटीआई के तहत वित्त मंत्रालय के मुख्य लेखा नियंत्रक से यह जानकारी चाही थी कि बैंकिंग सेवाओं से सेवाकर और जीएसटी से बीते पांच वर्षो में सरकार को कुल कितनी आय हुई है? गौड़ को विभाग के मुख्य सूचना अधिकारी और लेखाधिकारी कुसुम पनवार ने जो जानकारी भेजी है, उससे पता चला है कि केंद्र सरकार बैंकिंग सेवाओं के जरिए भी उपभोक्ता की ’जेब काटने’ में लगी है।
ब्यौरे के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2016-17 की अवधि में बैंकिंग सेवा से कर के तौर पर 42262़ 11 करोड़ रुपये केंद्र सरकार के खजाने में पहुंचे हैं। ब्यौरे के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2012-13 में 4961़ 30 करोड़, 2013-14 में 7176़52 करोड़ की राशि बैंकिंग सेवा के कर से हासिल हुई।
इसी तरह वित्तीय वर्ष 2014-15 में 8095़ 11 करोड़, 2015-16 में 10998़58 करोड़ और 2016-17 में 11030़ 11 करोड़ की रकम सेवाकर व जीएसटी के तौर पर अर्जित की गई। बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं से आशय एटीएम ट्रांजेक्शन, चेक, डाफ्ट, फिक्सड डिपोजिट, लॉकर चार्ज, कर्ज आदि से है।
