Tevar Times
Online Hindi News Portal

महानायक वीर महाराणा प्रताप का जिन्न

0
मृत्युंजय दीक्षित
भारत माता की कोख में से एक से बढ़कर एक महान सपूत पैदा हुये हैं जिन्होनें भारतमाता की रक्षा के लिए अपने सर्वस्व सुखों का त्याग कर अपनी मातृभूमि की पूरें मनोयोग के साथ सुरक्षा की। ऐसे ही महान सपूतों की श्रेणी में नाम आता है महाराणा प्रताप का। भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप का नाम साहस शौर्य त्याग एवं बलिदान के लिए प्रेरणा देने वाला रहा है।
मेवात के सीसौदिया वंश में बप्पा रावल राणा हमीर राणा सांगा ऐसे एक से बढ़कर एक महान प्रतापी शूरवीर राजा हो गये। वे सभी राणा के नाम से जाने जाते थे। परन्तु महाराणा यह गौरवयुक्त संबोधन केवल प्रताप सिंह को ही मिला। जिससे उनका पूरा नाम महाराणा प्रताप हो गया।
मुगल सम्राट अकबर के द्वारा दिये गये झूठे आश्वासन, उच्चस्थान, पदाधिकार आदि प्रलोभनों के वषीभूत होकर कई राजपूत राजाओं ने उनका प्रभुत्व मान लिया था। परन्तु सुखी जीवन की लालसा से रहित साहसी, वीर राजपूत अपना गौरव खो चुके थे। ऐसा प्रतीत होता था कि मानो राजस्थान ही क्या सारा भारत अपना आत्मगौरव खो चुका है। ऐसे कठिन समय में मेवाड़ के महाराणा प्रताप का मातृभूमि की रक्षा के लिए राजनैतिक क्षेत्र में प्रवेष हुआ।
महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआ था। महाराणा प्रताप की मां का नाम जैयन्ती बाई था। महाराणा प्रताप के पिता का नाम उदय सिंह थ। यह अपने पिता की सबसे बड़ी संतान थे। वह बहुत ही स्वाभिमानी तथा सदगुणी थे। महाराणा प्रताप का बचपन से ही यु़द्ध कला सीखने का मन होता था। उनका अध्ययन में कभी मन नहीं लगा।

उनका अधिकतर समय अपने भाई शक्तिसिंह के साथ जंगलों में शिकार करने में ही बीतता था। जिस समय उनका राज्याभिषेक होना था उस समय भारत में मुगल सम्राट अकबर का बहुत ही मजबूत व शक्तिशाली शासन था। वह बहुत ही चतुर तथा कूटनीतिज्ञ था। वह हिन्दुओं के ही बल से हिन्दुओं को गुलाम बनाता था। तत्कालीन हिंदू राजाओं की मूर्खता का अकबर ने भरपूर लाभ उठाया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More