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नमामि गंगे परियोजना लक्ष्य से भटकी मोदी सरकार

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नरेश दीक्षित
(संपादक: समर विचार)
मोदी सरकार के सत्ता में बैठे 48 माह बीत जाने के बाद भी गंगा सफाई अभियान लक्ष्य से भटक कर भ्रष्टाचार के दल दल में पहुँच गई है। परियोजना पर अब तक करोड़ो रुपये खर्च हो चुके है लेकिन गंगा सफाई सिफ॔ मंचो पर भाषण तक सीमित होकर रह गई है।
मोदी सरकार की फायर ब्रांड नेता उमा भारतीय को गंगा सफाई का मंत्री बनाया गया, लेकिन उनकी असफलता को देखते यह काय॔ अब नितिन गडकरी को दिया गया है। केंद्र सरकार के मंत्री से लेकर प्रधान मंत्री मोदी गंगा सफाई के प्रति मंचो पर जितनी प्रतिबध्दता जता रहे थे उतने गंभीर नही थे। अब तक गंगा सफाई के जितने भी अभियान चले है जमीनी धरातल पर नाकाम रहे है।
Modi government Namami Gange mission, Reality check and all you need to know
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देश की जनता को मोदी ने महत्वाकांक्षी स्वप्न गंगा को स्वच्छ कर उसकी जल धारा को अविरल बनाने का वादा किया था। और गंगा सफाई का श्रीगणेश वष॔ 2016 में किया था, उम्मीद बधी थी कि ‘नमामि गंगे’ परियोजना के भविष्य में साथ॔क परिणाम निकलेंगे?
लेकिन केंद्र सरकार के वित्त पोषण के बाद इस महत्वाकांक्षी परियोजना में भ्रष्टाचार शुरू हो गया और गंगा सफाई अभियान दूर हो गया इसका खुलासा ‘कैग’ की रिपोर्ट में भी किया गया है कैग की रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह योजना महज देश की जनता को बेवकूफ बनाने के लिए सिर्फ मोदी सरकार का बडबोला पन था।
योजना की असफलता के लिए सुप्रीम कोर्ट भी मोदी सरकार को फटकार चुका है, क्या यह सरकार के कार्य काल में गंगा सफाई कर पायेगी या नही? भारत सरकार ने इस योजना पर खर्च के लिए 1500 सौ करोड़ रुपए बजट का प्रावधान कर 104 स्थानो पर आधार शिला रखी गई थी। इतनी बड़ी परियोजना देश दुनिया में कही शुरू नही हुई थी।
Modi government Namami Gange mission, Reality check and all you need to know
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नमामि गंगे परियोजना उन तमाम मुद्दो को छुआ गया था जिस पर अमल यदि होता तो गंगा कुछ हद तक स्वच्छ दिखने लगती। दरअसल गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा को प्रदूषित करने में इसके किनारे चमड़ा, चीनी, रसायन कारखाने को हटाने के साथ ही बांधौ, जल विद्युत परियोजनाओ को हटाया नही जाता तब तक गंगा सफाई अभियान सिर्फ हवा हवाई ही बना रहेगा।
नमामि गंगा परियोजना में यह भी प्राविधान था कि जगह-जगह 113 जल गुणवत्तापूर्ण मापक मुल्यांकन केंद्र बनाए जायेंगे जो जल की शुद्धता को मापने का काम करेगे लेकिन जब तक गंदगी फैलाने वाले उद्योगो को ही नही हटाया जायेगा और गंगोत्री से आने वाले जल प्रवाह से रूकावटो को नही हटाया जायेगा तब तक गुणवत्ता मापक केंद्र क्या कर लेंगे?
मई माह में तो गंगा की हालत यह हो गई है कि कई स्थानो पर इसका जल विषाक्त हो गया है और मछलियाँ तथा जलचर मरने शुरू हो गये है पर सरकार गंगा सफाई के नाम पर सिर्फ लफ्फाजी कर रही है।
अभी पिछले सप्ताह उप्र के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर कर गंगा सफाई अभियान की समीक्षा कर आदेश जारी किया था कि गंगा किनारे बसे सभी शहरो, नगरो में सीवर लाइन बिछाने का काय॔ युद्ध स्तर पर शुरू किया जाए ताकि गंगा में सीवर का पानी न जाए। जबकि हकीकत यह है कि प्रदेश में स्वच्छता अभियान के अन्तर्गत बन रहे शुलभ शौचालयो का है।
मोदी सरकार के इस महा अभियान पर अब तक करोड़ो रुपये खर्च किए जा चुके है लेकिन किसी भी जिले के ग्रामीण क्षेत्रो का लक्ष्य पूण॔ होना तो दूर की बात है गढ्ढे तक नही खुदे है और शासन को रिपोर्ट भेजी जाती है कि शौचालयो का निर्माण कार्य पूर्ण है। मोदी सरकार ऐसा ही गंगा सफाई अभियान चला रही है?

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