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हाईकोर्ट ने वनाधिकार कानून के तहत दावेदारों की बेदखली पर लगाई रोक

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लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय (High Court) के मुख्य न्यायाधीश की खण्ड़पीठ ने कल जनहित याचिका संख्या 56003ध्2017 आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट से जुड़ी आदिवासी वनवासी महासभा बनाम यूनियन आफ इण्डिया और 16 अन्य में निर्णय देते हुए वनाधिकार कानून के तहत दावा करने वाले आदिवासियों और अन्य परम्परागत वन निवासियों की बेदखली पर रोक लगा दी है।

High Court restrains claimants on eviction
High Court restrains claimants on eviction

अपने दिए आदेश में माननीय मुख्य न्यायाधीश दीलीप बी भोसले और न्यायाधीश मनोज कुमार गुप्ता की खण्ड़पीठ ने केन्द्र व राज्य सरकार से आदिवासी वनवासी महासभा द्वारा पूर्व में दाखिल जनहित याचिका संख्या 27063ध्2013 में दिनांक 5 अगस्त 2013 को दिए आदेश में की गयी।

कार्यवाही और अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) के संशोधित नियम 2012 के नियम 12 (क) के प्रावधानों के तहत वन अधिकारों की मान्यता के लिए अपनाई गयी प्रक्रिया के बारे में अगली सुनवाई तक शपथ पत्र के साथ बताने को कहा है और तब तक वनाधिकार कानून के तहत दावा करने वाले दावेदारों की बेदखली और उत्पीड़न पर रोक लगा दी है।

उच्च न्यायालय (High Court) में आदिवासी वनवासी महासभा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता योगेश अग्रवाल ने बहस की। यह जानकारी स्वराज अभियान की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य और याचिका कर्ता दिनकर कपूर ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताई।

उन्होंने बताया कि विगत दिनों स्वराज अभियान की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में आदिवासी वनवासी महासभा और मजदूर किसान मंच की टीम ने नौगढ़, सोनभद्र और मिर्जापुर के कई गांवों में दौरा कर वनाधिकार कानून के अनुपालन की स्थिति की जांच पड़ताल की थी।

जिसमें यह तथ्य सामने आया कि आदिवासी वनवासी महासभा की जनहित याचिका 27063 में 5 अगस्त 2013 को हाईकोर्ट द्वारा संशोधित नियम 2012 के तहत दावों के निस्तारण के दिए आदेश का अनुपालन नहीं हुआ।

वनाधिकार कानून के तहत जमा किए गए दावे ग्रामस्तर और उपखण्ड़स्तर पर पडे हुए है और किसी भी दावेदार को न तो सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान किया गया और न ही उसे उसके दावों के सम्बंध में संसूचित किया गया।

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